विशेष – “शहादत को नमन” – रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
बैतूल – रहने को सदा दहर में आता नहीं कोई, तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई – पुलिस विभाग के होनहार, कर्तव्यनिष्ठ और मिलनसार उप निरीक्षक
श्री विनोद शंकर यादव की शहादत को नमन।
संपादक -राजेंद्र वंत्रप
बैतूल -यूँ प्रदेश में दो दशक की पत्रकारिता में मंत्रालय से लेकर पंचायत स्तर तक के सभी विभागों के राज्य, संभाग ,जिलों , तहसीलों एवं ब्लॉक के वरिष्ठ व कनिष्ठ अधिकारी कर्मचारी समाचारों के माध्यम से कहीं ना कहीं मीडिया से जुड़े होते है। लेकिन कुछ अधिकारी कर्मचारी ऐसे भी होते है जो मिलनसार होने के साथ साथ बिना किसी समझौते के अपने कर्तव्य को सेवाभाव ,निष्ठां और ईमानदारी से पूरा करने के लिए जाने जाते है। जिसकी वजह से मीडिया में उनकी एक अलग पहचान बन जाती है। उन्ही में एक नाम -उप निरीक्षक स्व.श्री विनोद शंकर यादव जी का है। एससीएन न्यूज परिवार एवं जिले की टीम -जिला ब्यूरों -अल्केश साहू , तहसील ब्यूरों -दिलीप पाल -आमला , धनराज साहू -भैसदेही ,भरत साहू -आठनेर ,आदर्श साहू -मुलताई ,विपुल राठौर -झल्लार ,चेतन राठौर ,रुपेश लोखंडे ,आयुष वंत्रप-सारनी , संदीप पाटनकर – शाहपुर एवं राजेश साबले -खेड़ी सांवलीगढ़ संवाददाता की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते है ।
आइये एक नजर डालते है उनके सफर पर –
बैतूल के पाढ़र पुलिस चौकी में तैनात रहे उप निरीक्षक विनोद शंकर यादव की ड्यूटी के दौरान हुई शहादत को भुलाया नहीं जा सकता । वहीँ पुलिस विभाग में भी उनकी कमी अपूर्णीय रहेगी। उनके जानने वालों का कहना है कि यादव जी की कानूनी समझ, विवेचना का ज्ञान, जांचों में तत्परता और जनता से जुड़ाव काबिले तारीफ था।
पुलिस सेवा में बतौर आरक्षक भर्ती हुए विनोद शंकर यादव ने मंदसौर, दमोह और बैतूल में अपनी पुलिस सेवा का लंबा समय गुजारा। 2015 में उन्होंने आरक्षक रहते हुए उप निरीक्षक की परीक्षा दी और फिर चयन के बाद मंदसौर में तैनात हो गए। वहां से यादव दमोह और फिर पिछले दो साल से बैतूल में तैनात थे। यहां उन्होंने शाहपुर के भौरा पुलिस चौकी में चौकी इंचार्ज की जिम्मेदारी संभाली।
विनोद शंकर यादव के परिवार में उनकी माता,पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। बेटा प्रथम वर्ष का छात्र है, जबकि पुत्री दसवीं कक्षा में पढ़ती है।
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इस दौरान कई अनसुलझी गुत्थियों को सुलझाने में अहम् भूमिका निभाई जिसमे -प्रदेश का बहुचर्चित रेत माफिया काण्ड में प्रमुख आरोपी की गिरफ्तारी हो या दूरगामी जंगल में सैकड़ो फिट नीचे गिरे ट्रेक्टर के नीचे दबे शव को बाहर निकलना हो। वही लॉकडाउन में दो जिले की सीमा पर सजग प्रहरी की भांति तैनाती। बिना जाँच उन्होंने जिले की सीमा में किसी की घुसने नहीं दिया।
लेकिन वही जरूरत मंदो की मदद भी की। भोजन भी कराया।
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2015 में उन्होंने आरक्षक रहते हुए उप निरीक्षक की परीक्षा दी और फिर चयन के बाद मंदसौर में तैनात हो गए।