त्रिरत्न बौद्ध विहार सारनी  में आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर वर्षावास प्रारंभ

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आयुष वंत्रप 

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नगर के त्रिरत्न बौद्ध विहार सारनी  में आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर वर्षावास प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का प्रारम्भ सर्वप्रथम बुद्ध वंदना से किया गया।  जिसके  पश्च्यात  भदन्त रत्न बोधि द्वारा महा परिणाम पाठ किया गया एवं आषाढ़ पूर्णिमा का महत्व बताया गया है। समिति के अध्यक्ष आयुष्मान नारायण चौकीकर ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा के दिन ही सिद्धार्थ गौतम के बौधिसत्व के  रूप में माता महामाया के गर्भ में प्रवेश किया था।  इसी पूर्णिमा के दिन 29 वर्ष की आयु में गृह त्याग कर मानव कल्याण के लिए शांति की खोज में निकल गए और 6 वर्षीय कठिन तपस्या  के बाद में वैशाख पूर्णिमा के दिन उन्हें ज्ञान प्राप्त हुआ।  सर्वप्रथम मैंने इसी आषाढ़ पूर्णिमा के दिन उन्होंने पंचवर्गीय भिक्षुओं को उपदेश दिया।  इसी कारण आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है।  वर्षावास आषाढ़ पूर्णिमा से  अश्विनी पूर्णिमा तक सतत  3 महीने तक चलेगा।

इस अवसर पर डॉ बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर जी द्वारा लिखित “भगवान बुद्ध और उनका धम्म” ग्रंथ का वाचन किया जाएगा एवं भंते जी के द्वारा वाचन का विश्लेषण किया जायेगा।

त्रिरत्न बौद्ध विहार सारनी  में आषाढ़ पूर्णिमा के अवसर पर वर्षावास कार्यक्रम में   विठोबा डोंगरे , दीनानाथ चौकीकर, चंद्रकांत थमके, सुनील सहारे, बुधराम मालवी, धनु झरबड़े, विठ्ठल ढोके , लक्ष्मण वामनकर, अशोक गजभिए, भाउराव पाटील, आदर्श चौकीकर, ललिता पाटील ,नंदा थमके , ममता चौकीकर, रेखा मालवीय, कमला आथनकर , कंचना ढोके , नीलिमा मुझमुळे ,चंद्रकांता गजभिए, सत्यकला मेश्राम ,पार्वती थोराट, सविता शिरसाट, प्रिया सहारे, सेवंता  हिवराले , सुशीला राऊत ,संगीता कापसे , वंदना गजभिए, दुर्गा पाटिल, प्रियंका थमके उपस्थित रहे।