कटाई के कहर से कराह रहे विशालकाय वृक्ष अनदेखी की वजह से लगाने की जगह काटने में जुटे लोग
रविकांत बिदोल्या
हटा(दमोह)
- कटाई के कहर से कराह रहे विशालकाय वृक्ष
- अनदेखी की वजह से लगाने की जगह काटने में जुटे लोग
- जहां बड़ी मात्रा में घने पेड़ हुआ करते थे वहाँ हो गई सफाई…
हटा- कोरोना काल मे ऑक्सीजन की कमी से जूझते हुए दम टूटने की घटनाओं के बीच जैसे ही यह खबर मिली कि छतरपुर जिले के बकस्वाहा के घने जंगलों के करीब सवा दो लाख से ज्यादा पेड़ हीरा निकालने के लिए काटे जाना है यह खबर आते ही पूरे प्रदेश में अचानक से पर्यावरण बचाओ आंदोलन की बाढ़ सी आ गई है ।
अच्छी बात है कि लोग जागरूक हों लेकिन यदि निरंतर जागरूकता और बिना किसी स्वार्थ के लोग यदि पौधों के सतत संरक्षण के प्रयास में रहे होते तो वर्षों पूर्व से हमारे आसपास लगे पेड़ भी जंगलों के रूप में हमारे पास होते ।
जी हाँ ,,,हम बात कर रहे हैं हटा नगर में ही डाइट के चारों ओर लगे पेड़ों की , जो सुरक्षा के अभाव में संघर्ष करते हुए कम होते जा रहे हैं । गौरतलब हो कि यहाँ एक विशाल भूभाग पर बीते लगभग तीन दशक पूर्व तत्कालीन कलेक्टर आर पी मण्डल द्वारा वृहद बृक्षारोपण कराते हुए सैकड़ों पेड़ लगाए गए थे लेकिन सुरक्षा के अभाव में यहाँ लगे पेड़ों को अब अंगुलियों पर गिना जा सकता है । साथ ही काटे जा चुके पेड़ों के ठूँठ अपनी बर्बादी की गवाही स्वयं दे रहे हैं । विश्व पर्यावरण दिवस पर जहाँ एक ओर जगह जगह पेड़ लगाने और बकस्वाहा के जंगलों को बचाने की बातें हो रही है वहीं हमें इनके साथ साथ अपने आसपास लगे पेड़ों को सुरक्षा भी प्रदान करना चाहिए ।