जनप्रतिनिधियों पर है आस-कोई तो मसीहा नलजल योजना का चमत्कार दिखलायेगा
अलकेश साहू जिला ब्यूरों बैतूल
सरकार कितने भी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ , बेटी है तो कल है स्लोगन से सफलतम अभियान के दावे कर ले , लेकिन दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाली यह तस्वीर इन दावों पर पानी फेरने के लिए काफी है। आदिवासी अंचल बैतूल जिले के भैंसदेही तहसील के बोरखेड़ी गांव की ये तस्वीर किसी को भी दहलाने के लिए काफी है जहाँ सूखे हलक को तर करने हमारी यही बिटियां जान जोखिम में डाल खतरनाक पत्थरिले कुंए में उतर पानी भरने के लिए मजबूर है। बताया जा रहा है कि गांव से लगे हुये एक पुराने कुएं में ग्रामीणो के द्वारा गड्डे खोदे गए है। जहां ग्रामीण महिलायें , बालिकाएं पानी लेने पहुचती है। कुएं में पानी कम होने के कारण बाल्टी से पानी खींच पाना मुश्किल हो जाता है। जिसके चलते वे टेढ- मेढे पत्थरों पर पैर रखकर पांच बालिकाएं कुएं में उतरती हैं। पानी के पास पहुचने वाली बालिका डिब्बो में पानी भरकर उपर खड़ी बालिका तक पहुचाती है। रस्सी की बजाय 5 बालिकाएं कुएं के उपर तक पानी पहुचाती है।
ये नजारा बैतूल जिले का बोरखेड़ी गांव तहसील मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूरी का जहां गाँव की आबादी लगभग 5 सौ से 6 सौ के बीच है। हैंडपम्प भी है लेकिन हवा उगल रहे है। जिसके चलते गांव की बालिकाएं 20 फिट नीचे कुएं में उतर कर पानी निकालने को मजबूर हो रही है। लेकिन इन ग्रामीणों को अभी भी क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों पर आस है की कोई तो मसीहा नलजल योजना का चमत्कार दिखलायेगा।