निजीकरण के ख़िलाफ़ बैंक संगठनों का विरोध प्रदर्शन

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नवनीत गुप्ता जिलाब्यूरो  कटनी 
कटनी ॥ बैंक कर्मचारी संगठनों ने केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण की योजना के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया यूनाइटेड फोरम ऑफ यूनियंस के बैनर तले नौ यूनियनों एआईआईबीए, एआईबीओसी, एनसीबीई, एआईबीओए, बीईएफआई, आईएनबीईएफ, आईएनबीओसी, एनओबीडब्ल्यू और एनओबीओ के लगभग 5 हजार बैंक कर्मचारी और अधिकारी मिलकर सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं.बयान के मुताबिक, ‘अगर सरकार अपने फैसले पर आगे बढ़ती है, तो हम आंदोलन तेज करेंगे और लंबे समय तक हड़ताल और अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे. हम मांग करते हैं कि सरकार अपने फैसले पर फिर से विचार करे!सरकारी बैंकों के सामने एकमात्र समस्या फंसे हुए कर्ज (एनपीए आदि) की है, जो अधिकांश कॉरपोरेट और अमीर उद्योगपतियों द्वारा लिए जाते हैं. सरकार उन पर कार्रवाई करने के बजाय बैंकों का निजीकरण करना चाहती है.!देश के सबसे बड़े बैंक कर्मचारी संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने हड़ताल का आह्वान किया है.हड़ताल की सबसे बड़ी वजह सरकार का एलान है कि वो आईडीबीआई बैंक के अलावा दो और सरकारी बैंकों का निजीकरण करने जा रही है. बैंक यूनियनें निजीकरण का विरोध कर रही हैं. उनका कहना है कि जब सरकारी बैंकों को मज़बूत करके अर्थव्यवस्था में तेज़ी लाने की ज़िम्मेदारी सौंपने की ज़रूरत है उस वक़्त सरकार एकदम उलटे रास्ते पर चल रही है.!

बैंक हड़ताल का असर
बैंक यूनियनों ने निजीकरण के फ़ैसले के ख़िलाफ़ लंबे प्रतिरोध का कार्यक्रम बनाया हुआ है.यूनाइटेड फोरम में शामिल यूनियनों के सभी कर्मचारी और अधिकारी सोमवार और मंगलवार को हड़ताल पर रहे इससे पहले शुक्रवार को महाशिवरात्रि, शनिवार को दूसरे शनिवार और रविवार की छुट्टी थी.
यानी पूरे पाँच दिन बैंकों में कामकाज़ बंद. कुल बैंकिंग कारोबार का दो तिहाई कामकाज़ पर असर पडा है.इसमें भी बैंकों में पैसा जमा करने और निकालने के अलावा ख़ासकर चेकों की क्लियरिंग, नए खाते खोलने का काम, ड्राफ्ट बनवाना और लोन की कार्रवाई जैसे कामों पर असर पड़ा है. हालांकि एटीएम चलते रहें. लेकिन हड़ताल का असर दिख जोरो सें देखने कों मिला !