scn news indiaबैतूल

प्लास्टर का पेरिस और मिट्टी से बनी की मूर्तियों को ऐसे पहचाने -प्लास्टर ऑफ़ पेरिस हानिकारक है

Scn news india

 

जयराम प्रजापति की रिपोर्ट:

दीपावली के परम पावन पर्व पर हर भक्त अपने घर में मां लक्ष्मी की प्रतिमा को लेकर आता है। शास्त्रों के अनुसार शुद्ध मिट्टी से बनी हुई प्रतिमाओं का ही पूजन सर्वश्रेष्ठ होता है किंतु आजकल बाजार में पी.ओ.पी. जिसका पूरा रासायनिक नाम ‘प्लास्टर ऑफ पेरिस’ है। वास्तव में ‘प्लास्टर ऑफ पेरिस’, एक सफेद रंग का राख की तरह दिखाई देने वाला अत्यंत हल्का चूर्ण (पाउडर) होता है, जो पानी के संपर्क में आने पर ठोस हो जाता है और फिर कभी दुबारा पानी में कभी नहीं घुलता है और न ही नष्ट होता है। पर्यावरण की दृष्टि से यह एक अत्यंत घातक पदार्थ है। अभी बाजार में इसी से बनी लक्ष्मी जी की प्रतिमाएं बेची जा रही है, क्योंकि पी.ओ.पी. से बनी मूर्तियां अत्यधिक हल्की एवं सफाई वाली (चिकनी) होती है और बहुत कम समय में अधिक से अधिक संख्या में पी.ओ.पी. से मूर्तियों का निर्माण किया जा सकता है। अतः ज्यादातर कारीगर पी.ओ.पी. की मूर्तियों का निर्माण करते हैं।

अरविन्द सोनी व्यापारी संघ अध्यक्ष सारनी 

पी.ओ.पी. से बनी मूर्तियों की पहचान करने के तरीके:
1. प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों को का वजन अत्यंत हल्का होता है, इन्हें उठाकर आसानी से पहचाना जा सकता है। किंतु कुछ कारीगरों द्वारा मूर्ति के निचले सिरों में किसी भी भारी पदार्थ को अंदर भर दिया जाता है एवं मिट्टी के लेप लगाकर उसे बंद कर दिया जाता है। आप सावधानीपूर्वक इसकी पहचान कीजिए।
2. प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्ति को ठोकने पर आवाज उत्पन्न होती है जबकि मिट्टी की मूर्ति आवाज नहीं करती है।
3. प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति को पहचानने का सबसे अच्छा तरीका मूर्ति के किसी भी भाग को किसी नुकीली वस्तु से खरोच कर देखें, यदि उसमें कोई सफेद पदार्थ निकलता दिखाई देता है तो वह मूर्ति प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी हुई है।
4. पानी में डुबोने पर प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्ति खोल नहीं है जबकि मिट्टी की मूर्ति आसानी से धीरे-धीरे घुलते जाती है।
आप भी अपने विवेक से इन उपायों के द्वारा प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों की पहचान जरूर कीजिए। शास्त्रों के अनुसार भी शुद्ध मिट्टी से बनी हुई प्रतिमाएं एवं उनका विसर्जन का नियम बताया गया है।

 आदिल खान पर्यावरणविद् सारनी 

वैज्ञानिक दृष्टि से भी मिट्टी से बनी प्रतिमाएं पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान नहीं पहुंचती है। ज्यादा चमकीली मूर्तियों को भी लेने से बचें क्योंकि इन मूर्तियों पर किए जाने वाले रंगों का निर्माण अनेक भारी तत्वों ( मर्करी,आर्सेनिक प्लैडिनम, कैडमियम, सल्फर फास्फोरस, बोरान, कॉपर निकील, जर्मेनियम, टाइटेनियम आदि) के ऑक्साइडों को मिलाकर किया जाता है। मूर्ति विसर्जन के दौरान जल स्रोतों में ये रंग एवं तत्व खुलकर प्राणियों के लिए जहर का कार्य करते हैं। ऐसे पानी के संपर्क में आने से मनुष्य को ‘त्वचा का कैंसर’ एवं पानी को पीने से अनेक प्रकार के कैंसर होने का खतरा रहता है। अतः आप जागरुक एवं समझदार नागरिक बनिए अंधभक्त बनकर चमकती हुई प्रतिमाओं न खरीदे।

आचार्य जी मुख्य पुजारी राम मंदिर सारनी