बैतूल जिले के प्रत्याशियों द्वारा, स्थानीय मीडिया से की जा रही है अनदेखी -सवालों के जवाब से बच रही पार्टियां
जयराम प्रजापति की रिपोर्ट
मध्य प्रदेश में लोकतंत्र का महापर्व मनाने की तैयारी चल रही है, जिसमें भाग लेने वाले विधानसभा प्रत्याशियो के द्वारा लोकतंत्र के ‘चौथे स्तंभ’ कहे जाने वाले ‘मीडिया’ की अनदेखी की जा रही है। मीडिया, जनता के सवालों एवं मुद्दों को लेकर प्रत्याशियों से निरंतर ‘जनता के सवाल’ पूछना चाहती है; किंतु प्रत्याशी लोकतंत्र की धज्जियां उड़ाते नजर आ रहे हैं। प्रत्याशी ये भूले की ये 21 वी सदी है। हर हाथ में मोबाईल है। ग्रामीण जनता भी इंटरनेट का बखूबी प्रयोग जान गई है। और वो अपने प्रत्याशियों में वो सब बातें ढूंढती है जिनसे उनका सरोकार है। क्योकि जनता जाग चुकी है। और मीडिया उनकी आवाज है।
मीडिया का काम जनता की समस्याओं, प्रश्नो एवं मुद्दों को निष्पक्षता के साथ प्रत्याशियों के समक्ष रखना एवं उनके निराकरण की बात करना होता है। किंतु ऐसा लगता है, जैसे संपूर्ण प्रदेश देश से कानून व्यवस्था समाप्त हो गई है। प्रत्याशियों की मनमानी चल रही है। प्रत्याशियों के द्वारा जनता को निरंतर गुमराह किया जा रहा है। उन्हें झूठ बोलकर उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। मुफ्त की रेवड़िया बांटकर जनता की आवाज को दबाया जा रहा है, उन्हें अहसास दिलाया जा रहा है कि यह रेवड़िया उन्हें वोट के बदले दी जा रही है। इसका जीता जागता उदाहरण पूरे मध्य प्रदेश में निर्वाचन आयोग की कड़ी निगरानी में करोड़ों रुपए की जप्ति कर कार्रवाई की जा रही है। प्रत्याशी अब आम जनता के साथ मनमानी ढंग से ठगी नहीं कर सकता क्योंकि आम जनता जाग चुकी है, वह अपने अधिकारों एवं मतों का विवेक अनुसार सहीं प्रयोग कर रही है।
आपको बता दे कि बैतूल जिले के कई ग्रामीण इलाकों के ग्रामीणों ने प्रत्याशियों को अपने गांव में भी प्रवेश नहीं करने दिया है और चुनाव का शत प्रतिशत बहिष्कार करने का निर्णय लिया गया है। बैतूल जिले में कई ग्रामीण क्षेत्र ऐसे हैं, जहां आजादी के 75 वर्षों के बाद भी आज तक बिजली, पानी एवं सड़क की व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण जनता पानी की एक-एक बूंद के लिए तरस रही है। सड़कों के अभाव में कई मरीजों, प्रसुताओं एवं शिशुओं की जान जा चुकी है। कई छात्र छात्राओं का भविष्य बिजली के अभाव में, अंधकार में डूब चुका है।
ग्रामीण जनता जान चुकी है कि इन नेताओं को केवल वोट मांगते समय ही ग्रामीणों की याद आती है, चुनाव परिणाम की घोषणा के बाद विजयी होने पर; यही प्रत्याशी कभी पीछे मुड़कर उन गांव का रुख नहीं करते हैं। ग्रामीणों की समस्याएं नहीं सुनते। गांव का विकास नहीं करते। सिर्फ अपनी झोली भरने एवं मौज बनाने में व्यस्त रहते हैं।
किंतु इस बार जनता ऐसा कभी होने नहीं देगी और ऐसे प्रत्याशियों की जमानत जप्त करवाने का मन बना चुकी है। इस बार चुनाव का विशेष संयोग है जिसमें लोकतंत्र का महापर्व और विश्व का सबसे पवित्रम पर्वत “दीपावली” बड़ी धूमधाम से मनाया जा रहा है एवं तैयारी चल रही है हम ईश्वर से आशा करते हैं कि यह दीपावली और लोकतंत्र का महापर्व भारत देश को एक समृद्ध एवं विकसित राष्ट्र के रूप में बनने में अपनी कृपा बनाए रखें। आईए हम सब मिलकर भारत को एक महान राष्ट्र बनाएं। जय जवान जय किसान।