नवमी पर हुए जगह जगह हवन पूजन एवं भंडारे के आयोजन ,आज दशहरा मनाया जाएगा धूमधाम से
प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी घोड़ाडोंगरी बस स्टेण्ड पर विराजी माँ दुर्गा की प्रतिमा रही आकर्षण का केंद्र
जयराम प्रजापति की रिपोर्ट
शारदीय नवरात्र के अंतिम रात्रि दिन सोमवार तिथि नवमी को “मां देवी सिद्धिदात्री पूजन” वेदों एवं देवीशास्त्र पुराण के अनुसार पूर्ण विधि विधान से यज्ञ वेदी में हवन एवं पूर्णाहुति छोड़कर भक्तों द्वारा संपूर्ण विश्व के कल्याण एवं प्रत्येक प्राणी मात्र के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि के लिए मंगल कामना की। इस अवसर पर भक्तों के द्वारा माता के मंडपों एवं घरों में माता रानी के नौ स्वरूप को नौ कन्याओं एवं हनुमान जी के रूप में एक बालक की विधि पूर्वक पूजा अर्चना कर, भोग लगाकर, उनकी प्रिय वस्तुओं को उन्हें दान स्वरूप प्रदान कर उनसे शुभ आशीष की प्रप्ति की जाती है।
देवी पूजन के पश्चात महिषासुर काल भैरव की पूजा अनिवार्य रूप से की जाती है, काल भैरव की पूजन के बिना माता के पूजन की कल्पना नहीं की जा सकती है ऐसा न करने वालों को माता रानी के भयंकर क्रोध एवं प्रकोप का सामना करना पड़ता है। कन्या भोजन के पश्चात भोग प्रसादी का वितरण भक्तों में भंडारे के रूप में किया जाता है। देवी पुराण के अनुसार नवरात्रि के अंतिम दिनों में कन्या भोजन कराने से कोटि-कोटि यज्ञों का अनंत लाभ प्राप्त होता है मनुष्य के जीवन में होने वाली संपूर्ण समस्याओं का अंत हो जाता है।
नवरात्रि का यह त्यौहार मानव समाज को बुराइयों का अंत करने एवं प्रत्येक प्राणियों पर दया मनुष्य में मानवता को धारण करने की प्रेरणा प्रदान करता है। इस संसार में नर और नारी को एक दूसरे का पूरक माना गया है किंतु पौराणिक शिक्षा के अनुसार नारी को शक्ति का स्वरूप एवं जगत जननी कहा गया है। ….. नवरात्रि की अंतिम रात्रि में योगियों, तपस्वियों, तांत्रिकों एवं भक्तों के द्वारा अनेक तंत्रो, मंत्रों, यंत्रों, योगनियों, सिद्धियों एवं निधियों को सिद्ध किया जाता है। ……..आदिशक्ति पूजन का यह पर्व कई युगों पुराना है और आज भी इसी परंपरा को निर्वहन करते हुए कई अंचलों में भक्तों के द्वारा यथाशक्ति शक्ति स्वरूपों का आवाहन, पूजन एवं जागरण किया जा रहा है।
इसी क्रम में मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी बस स्टैंड पर विगत 33 वर्षों से माता रानी के अद्भुत स्वरूपों का पूजन उत्कृष्ट रूप से किया जा रहा है और माता रानी की कृपा से आगे भी उनका मंचन किया जाएगा। घोड़ाडोंगरी बस स्टैंड पर मंच असिन होने वाली माता रानी की प्रतिमाएं बड़ी ही रोचक एवं कलात्मक होती है। इनकी प्रतिमाएं देश ही नहीं विदेशों में भी ख्याति प्राप्त है। माता की मूर्ति के इन स्वरूपों का दर्शन करने के लिए बड़ी दूर-दूर से भक्तों के द्वारा माता रानी के पंडाल में आते हैं। इसी क्षेत्र के निकट अन्य मां के पंडालों में भी पूर्णाहुति देकर, भंडारे कार्यक्रम किया गया।
विद्युत नगरी सारणी में रामाख्यानी स्टेडियम में माता का हवन पूजन पूर्णाहुति एवं कन्या भोजन के साथ प्रसादी वितरण का कार्यक्रम भंडारे के रूप में किया जा रहा है। मंगलवार तिथि दशमी को दशहरा उत्सव शाम 7:00 बजे से अनेक रंगारंग कार्यक्रमों के साथ “रामलीला मंडली, नवापुर (भैंसदेही)” के रंगमंच कलाकारों के द्वारा श्री राम के द्वारा रावण के वध का आकर्षक नाटक मंचन मंडली के द्वारा किया जाना है।
सतपुड़ा सांस्कृतिक उत्सव समिति, सारणी द्वारा नगर वासियो एवं आसपास के क्षेत्रवासियों के भक्तों से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होकर “रावण-मेघनाथ पुतला दहन” के अद्भुत ऐतिहासिक कार्यक्रम को सफल बनाने में विशेष योगदान के लिए आप सभी की उपस्थिति की मंगल कामना करता है।