22 वर्षों से सतत “बाबा के अंगने में नच बलिए” कार्यक्रम का आयोजन श्रद्धांजलि देकर किया गया -एससीएन न्यूज पर देखिये पुनः प्रसारण
जयराम प्रजापति की रिपोर्ट
सतपुड़ा सांस्कृतिक उत्सव समिति, मध्य प्रदेश पावर जनरेटिंग कंपनी लिमिटेड, सारणी, जिला बैतूल मध्य प्रदेश में शारदीय नवरात्रि के परम पावन पर्व पर, रविवार, तिथि अष्टमी को “मां देवी महागौरी पूजन” के साथ सचिव हेमराज शाक्य,अधीक्षण अभियंता (प्रवर्तन) दो एवं तीन की स्वीकृति के बाद श्री नव दुर्गा उत्सव वर्ष-2023 उत्सव में सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के प्रभारी एवं संयोजक ओ.पी. सरोज के द्वारा अनवरत पिछले 22 वर्षों से ‘बाबा मठार देव की नगरी, सारणी’ में मनाते आ रहे सांस्कृतिक कार्यक्रम “बाबा के अंगने में नच बलिए” को अपने कार्य के प्रति कठिन तपस्या एवं निस्वार्थ सेवा भाव से प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है। इस कार्यक्रम के आयोजन की तिथि से लगभग डेढ़ माह पूर्व से ही इस कार्यक्रम में भाग लेने वाले सभी प्रतिभागियों के द्वारा निरंतर अभ्यास करवाया जाता ताकि इस उत्कृष्ट कार्यक्रम को प्रस्तुत किया जा सके।
इस कार्यक्रम के संयोजक ओ.पी. सरोज ने बताया कि इस कार्यक्रम में हर आयु वर्ग के लोगों का ध्यान रखते हुए, प्रत्येक वर्ग के लिए प्रस्तुतियां उपलब्ध है। उन्होंने दुख जताते हुए बताया कि “उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस कार्यक्रम को और अधिक सफल बनाने में सहयोग देने वाले कुछ कलाकार एवं सहयोगी ‘मनीष चौधरी, डोली वंत्रप एवं सुनील सावटकर’ को भावभीन श्रद्धांजलि दी गई, उन्होंने कहा कि इन दिवंगत कलाकारों के योगदान को मैं आजीवन भुला नहीं सकता हूं।” इस कार्यक्रम की मेजबानी ‘शैलेश चौधरी’ के द्वारा की गई। कार्यक्रम का आरंभ ‘के.वाय.डी ग्रुप’ के द्वारा सर्वप्रथम ‘श्री गणेश वंदना’ के द्वारा किया गया। कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति के रूप में एकल नृत्य श्रेणी में आदिवासी लोकगीत पर ‘साक्षी उईके’ के द्वारा, सुहानी श्रीवास ग्रुप के द्वारा रासलीला को फिल्मी गीत ‘आज राधा को श्याम याद आ गया’ बालकृष्ण लीला की छवि को प्रस्तुत करते हुए बाल कलाकार के रूप में कृष्ण बने ‘आयुष यादव’ ने प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में राजस्थानी, गुजराती, महाराष्ट्र के अतिरिक्त आदिवासी लोक संस्कृति पर आधारित एवं विभिन्न फिल्मी गीतों पर प्रस्तुतियां प्रदान की गई। इन प्रस्तुतियों में महिला कलाकारों के द्वारा आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया गया। ‘बाबा के अंगने में नच बलिए’ कार्यक्रम में स्थानीय नगरीय कलाकारों ही नहीं बल्कि आसपास के आदिवासी ग्रामीण अंचल के क्षेत्रीय कलाकारों को भी अवसर प्रदान किया जा रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रम का उद्देश्य सभी जाति एवं धर्म से ऊंचा उठकर प्रत्येक वर्ग को देश की एकता एवं अखंडता को मानवीय स्वरूप के रूप में प्रस्तुत कर, समाज को अच्छा मनोरंजन प्रदान करना एवं आपस में पारंपरिक रिश्तो की उपयोगिता को समझाना इसका उद्देश्य रहा। कार्यक्रम में विभिन्न ग्रुप्स के माध्यम से बहुत उत्कर्ष प्रस्तुतियां प्रदान की गई। आदिवासी लोक संस्कृति को प्रस्तुत करता ‘रानी दुर्गावती लोक नृत्य कला मंडल, ग्राम धसेड़, सारणी के द्वारा तीन प्रस्तुतियां आदिवासी लोकगीतों पर सामूहिक नृत्य के रूप में प्रस्तुत की गई।
सिंधु ग्रुप के द्वारा फिल्मी गीत ‘खातूबा’ पर बेली डांस एवं ‘ओ नइयो नइयो मेंनु दिल तेरा नहीं चाहिदा’ पर आकर्षक प्रस्तुतियां, रेड स्पॉट वूमेन ब्रिगेड ग्रुप द्वारा गुजरात- राजस्थान गरबा डांस, जानकी ग्रुप के द्वारा राजस्थानी डांस, ‘मेरे सैयां सुपर स्टार एवं रीमिक्स गीत’ पर आकर्षक प्रस्ततुतियां, इसी श्रृंखला को आगे बढ़ते हुए भूमि चौहान, आदित्रि सिंह, राधिका त्रिपाठी, कसिश, वंशिका राजपूत, सुहानी, निकिता, पूरी पंडाग्रे, निकिता बिहारे एवं अन्य साथियों ने प्रस्तुत किया। महाराष्ट्र की ‘लावणी चंद्र नृत्य’ की विशेष प्रस्तुति ‘सिमरन’ के द्वारा, कार्यक्रम में क्लासिकल नृत्य की विशेष प्रस्तुति पवन मेहरा एवं सतीश मर्सकोले को द्वारा ‘शिव तांडव’ की प्रस्तुति प्रदान की गई।
‘करुणा मेश्राम’ के द्वारा फिल्मी गीत ‘हाय मैं मर जाऊं, किस-किसी को बताऊं’ पर प्रस्तुति एवं फिल्मी गीत ‘हम काले हैं तो क्या हुआ, पर दिल वाले है’ द्वारा महान कलाकार महमूद को श्रद्धांजलि प्रदान की गई। निकिता जाह्नवी गुप के द्वारा फिल्मी गीत ‘दरिया किनारे एक बंगलो रे’ पर लेडिस संगीत के रूप में ग्रुप डांस किया। विनीता उईके के द्वारा फिल्मी गीत ‘सईयां ले गई जिया तेरी पहली नजर’ एवं ‘द हार्डनेस डांस करू क्र्यू’ के द्वारा ‘हिप- हॉप डांस’ की प्रस्तुति, रोशनी धुर्वे द्वारा फिल्मी गीत ‘कोई शायरी बाबू दिल लहरी बाबू रे’ पर प्रस्तुति दी गई।
सिमरन के द्वारा फिल्मी गीत ‘कांटों से खींच के आंचल’ एवं ‘महबूबा ओ महबूबा’ पर बेहतरीन बेली डांस प्रस्तुत कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए। अन्य सभी ग्रुप्स के अन्य कलाकारों के द्वारा भी मनोरम प्रस्तुतियां प्रस्तुत की गई। समय अभाव के कारण एवं आचार संहिता के नियमों का पूर्णता पालन करते हुए कार्यक्रम के अंतिम चरण में दिवंगत कलाकारों को स्व.मनीष चौकीकर , स्व.सतीश सावरकर एवं स्व.विजेता (डॉली ) वंत्रप को श्रद्धांजलि प्रस्तुत कर कार्यक्रम का समापन किया गया।