अधिकारों के लड़ाई के धर्म युद्ध में अब ना रुकेगी और ना झुकेगी निशा बांगरे
बैतूल से संतोष प्रजापति की रिपोर्ट
आज जब हाथों में संविधान की प्रति और श्रीमद् भागवत गीता लेकर अपने घर आमला से शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री के आवास भोपाल तक न्याय पद यात्रा पर निशा बांगरे निकली तो उनका सीधा संदेश था कि अब वह इस धर्मयुद्ध में रुकने वाली नहीं हैं।
निशा बांगरे जी की न्याय पद यात्रा सबसे पहले भगवान गणपति का आशीर्वाद लेकर बस स्टैंड से प्रारंभ हुई। इसके बाद उन्होंने मां अंबे का आशीर्वाद प्राप्त किया। इसके बाद बाबा साहब अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया तथा भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया इसके बाद शहीद स्मारक पर पुष्प गुच्छ समर्पित कर अमर शहीदों को नमन किया और ढोल बाजे के साथ उनकी यात्रा जनपद चौक अमला पहुंची I
जनपद चौक आमला में देखने को मिला भावुक पल
जनपद चौक आमला में निशा बांगरे के मामा किशोर मेश्राम क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे है I उन्होंने बोला की शिवराज सिंह चौहान ने खुद को मामा कहकर मामा शब्द को कलंकित किया है क्योंकि कोई भी मामा अपने भांजी को इस तरह से परेशान और प्रताड़ित नहीं देख सकता है और अगर मुख्यमंत्री जो स्वयं को मामा कहते हैं उनके राज्य में अगर उनकी भांजी इतनी परेशान और प्रताड़ित है और इसके बाद भी उसे न्याय नहीं मिल पा रहा है तो वह खुद को मामा कहलाने के योग्य नहीं हैI शिवराज मामा की सद्बुद्धि के लिए ही मैं यहां सत्याग्रह पर बैठा हूं और उनकी सद्बुद्धि के लिए प्रार्थना, धार्मिक अनुष्ठान और क्रमिक भूख हड़ताल करूंगा I
मामा की बातें सुनकर और उनके क्रमिक भूख हड़ताल में बैठने के पल निशा बांगरे की आँखों में आँशु छलक आए I
*शासन प्रशासन पर जमकर बरसीं निशा बांगरे*
बोली आज का दिन २८ सितम्बर काले अक्छरो में लिखा जायेगा तीन दिन का समय और तीन महीने इंतजार करने के बाद भी कोई न्याय नहीं मिला तीन महीने पहले पत्र देने के बाद भी मामा जी को ये नहीं दिखा की उनकी भांजी कितनी प्रताड़ित है शायद उन्होंने न्यूज़ पेपर पढ़ना या टीवी देखना छोड़ दिया है इसीलिए आज मई उनके गांव और उनके निवास तक पैदल चलकर अपनी बात पहुंचने जा रही हूँ मुझे आज अपने तीन साल के बच्चे को छोड़कर अपने पति माता पिता तथा सास ससुर को छोड़कर पैदल न्याय के लिए भोपाल के लिए जा रही हूँ उन्होंने आरोप लगाया की एक तरफ तो डॉक्टर जैसे अति अनिवार्य पेशे से एक दिन में इस्तीफा दिलवाकर स्वीकृत करवाकर उन्हें बीजेपी से टिकट दिया जाता है और दूसरी तरफ सर्कार के विद्वान अधिवक्ता द्वारा यह तर्क दिया जाता है की PSC की सहमति लेनी पड़ेगी और मामले का निराकरण १० दिन में भी कर पाना मुश्किल है जबकि तीन महीने से अधिक पहले ही हो चुके हैं उन्होंने कहा की मुझे अभी भी इनकी मंशा पर शक है की ये एक अनुसूचित जाति की महिला को न्याय देंगे क्योकि कुछ अधिकारी आते तो है लोकसेवा और संविधान की शपथ लेकर लेकिन आचरण इसके विपरीत करते हैं इसीलिए मै अपने न्याय के लिए भोपाल तक न्याय पद यात्रा कर रही हूँI
निशा की न्याय के लिए पदयात्रा आमला शहर में भ्रमण कर तोरणवाड़ा परसोड़ी अमनी होते हुए बोरी तक पहुँच गई है जो वही रात्रि विश्राम कर सुबह बकुड़ होते हुए सरणी के लिए प्रस्थान करेगी I शासन द्वारा निशा को इस तरह से परेशान करने को अब अमला सारणी की जनता भी दुर्भाग्यपूर्ण मान रही है और जैसे जैसे समय बीतता जा रहा है लोगो की संवेदनाये भी निशा से जुड़ती नजर आ रही हैI अब देखना ये है की निशा की ये पद यात्रा केवल एक यात्रा तक सिमित रहती है या किसी नए जान आंदोलन का स्वरुप लेती है लेकिन यह तो तय है की अगर समय रहते उन्हें न्याय नहीं मिला और उनकी यात्रा भोपाल तक जाती है तो एक सीट को बचाने के चक्कर में अनुसूचित जाती जनजाति एवं महिलाओ के वोट का नुकसान बीजेपी को पूरे प्रदेश में हो सकता है