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लड़ाई हुए आरपार -संवेदना की लहर महिला अधिकारी के साथ , कांग्रेस की वायरल सूची में आमला से निशा बांगरे उम्मीदवार

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ब्यूरो रिपोर्ट

अपने इस्तीफे को मंजूर कराने के लिए लगता है पहली दफा कोई महिला संघर्ष कर रही होगी। अमूमन लोगों को नौकरी पाने के लिए संघर्ष और प्रदर्शन करते देखा है। लेकिन बैतूल  जिले में इस्तीफा मंजूर कराने प्रशासन से लड़ रही है एक प्रशासनिक अधिकारी। जो हैरान करता है। अब ये लड़ाई सड़कों पर आ गई है। और क्षेत्र के तमाम सामाजिक संगठनो के साथ विभिन्न ग्रामों के ग्रामीण  भी अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाली इस्तीफा सौप चुकी डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का समर्थन करते दिखाई दे रहे है।

वही अब एक और ट्विस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमे कांग्रेस के जारी वायरल सूची में विधानसभा आमला के लिए निशा बांगरे का उम्मीदवार बतौर नाम है। हालांकि सूची अधिकृत है या नहीं ये पुष्ट नहीं है। लेकिन वायरल सूची ने कई लोगों की टेंशन जरूर बढ़ा दी है।

बता दे की एक दिन पहले ही डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने शासन प्रशासन को 3 दिनों का अल्टीमेट देते हुए इस्तीफा मंजूर करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा है की इसके बाद वो जनता के समर्थन के साथ सड़कों पर अनशन करने के लिए मजबूर होंगी। वही उन्होंने सत्ता धारी दल पर भी नारी शक्ति पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाया है।

हाथों में तख्तियां लिए निशा बांगरे के समर्थन में सड़कों पर उतरा जनसैलाब,
जोशीले नारों से गूंज उठा बैतूल कलेक्ट्रेट परिसर 
प्रशासन के द्वेषपूर्ण रवैया एवम दुर्भावनापूर्ण कार्यवाही से परेशान होकर निशा बांगरे अपने सैकड़ो समर्थकों के साथ कलेक्ट्रेट परिसर पहुंची और राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के नाम बैतूल के अपर कलेक्टर जयप्रकाश सरियाम को ज्ञापन दिया।
अपने घर के उद्घाटन अवसर पर आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना एवं भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन करने से प्रशासन द्वारा रोके जाने से आहत हुई निशा बांगरे ने 22 जून 2023 को अपना इस्तीफा देकर चर्चा में आई थी।
तब से अब तक शासन लगातार उनके खिलाफ कार्यवाही करता नजर आ रहा है।
पहले उनके अपने घर के उद्घाटन अवसर पर आयोजित 25 जून के कार्यक्रम में जाने से रोका गया था जिसमे भगवान बुद्ध की अस्थियों के साथ 11 देशों से अतिथि आए थे। इसके बाद उन्हें बैक डेट में नोटिस जारी किए गए थे।
शासन के द्वारा 1 महीने के बाद भी उनका इस्तीफा स्वीकार न करने पर निशा बांगरे हाई कोर्ट गई थी और हाई कोर्ट के आदेश के बाद शासन ने उनके खिलाफ कार्यक्रम में शामिल होने को लेकर विभागीय जांच शुरू कर दिया और उसी का हवाला देकर उनका इस्तीफा न मंजूर कर दिया था।

शासन प्रशासन पर हमलावर हुई निशा बांगरे, सरकार द्वारा कोर्ट को भी गुमराह करने का आरोप लगाया
आज निशा बांगरे प्रशासन पर हमलावर दिखी बोली जैसे 1 दिन में पत्र भेजकर कार्यक्रम में शामिल होने से रोका था, वैसे ही एक दिन में इस्तीफा स्वीकार करें अन्यथा आंदोलन होगा।
बोली इसी कलेक्ट्रेट में रहते हुए कई गरीब, जरूरतमंद और पीड़ित लोगों को न्याय दिलाई थी और उनके अधिकारों के लिए यहां बैठी थी। कभी सोचा भी नहीं था की स्वयं के अधिकारों के लिए ऐसे संघर्ष करना पड़ेगा।
उन्होने बोला की दलित और महिलाओं पर पहले से ही अत्याचार कम नहीं थे और अब प्रशासनिक अत्याचार भी हो रहा है।

प्रशासन को तीन दिन का अल्टीमेटम देते हुए निशा बांगरे बोली की तीन दिन में इस्तीफा स्वीकार करें अन्यथा आंदोलन होगा और हम अनशन पर बैठेंगे।
यह प्रदेश ही नहीं अपितु देश में भी अपनी तरह का पहला मामला है जहां किसी प्रशासनिक सेवा के अधिकारी को अपना इस्तीफा स्वीकार कराने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा है।

नारी शक्ति पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप
निशा बांगरे के इस्तीफे के प्रकरण में शासन द्वारा देर करने से बैतूल जिले के लोगों की जनभावनाएं उनसे लगातार जुड़ती जा रही है और उन्हें लोगों का जन समर्थन भी मिल रहा है। यदि निशा बांगरे के प्रकरण को और लंबा खींचा गया तो इससे लोगों के मन में आक्रोश बढ़ेगा और यदि इनका आंदोलन वृहद रूप ले लेता है तो बीजेपी की शिवराज सरकार को प्रदेश में अन्य सीटों पर भी आदिवासी, दलित एवम महिला वोटो का नुकसान झेलना पड़ सकता है।

राजनीतिक विशेषज्ञों का यह मानना है कि यदि निशा बांगरे को शांतिपूर्ण कार्यक्रम करने दिया जाता या चुपचाप इनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया जाता तो शासन विरुद्ध भावनाएं इतनी नहीं भड़कती परंतु उन्हें अपने ही एक माननीय की अपरिपक्व सलाह मानना अब प्रदेश की बीजेपी सरकार की गले की हड्डी बन गई है। जिसका खामियाजा आगामी विधानसभा चुनाव में देखने मिल सकता है।

अभी कुछ दिन पहले ही निशा मांग रहे एक वीडियो जारी करके चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुके हैं परंतु उन्होंने स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे आज उनके साथ जिस तरीके से विभिन्न सामाजिक संगठनों में ज्ञापन दिया उसे सभी संगठनों का साथ मिलता नजर आ रहा है
आज के उनके कार्यक्रम में उनकी राजनीतिक एवं सामाजिक आंदोलन की जो परिपक्वता देखने को मिली उससे आमला सारणी की जनता अब उन्हें एक मजबूत जनप्रतिनिधि की नज़रों से देखने लगी है।


अभी कुछ दिन पहले ही निशा बांगरे एक वीडियो जारी करके चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं परंतु उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह किस पार्टी से चुनाव लड़ेंगे अथवा निर्दलीय लड़ेंगे परंतु आज उनके साथ जिस तरीके से विभिन्न सामाजिक संगठनों ने ज्ञापन दिया जिसमे प्रमुख रूप से पारंपरीक समाजिक जन जागृति सेवा समिति छोटा भोपाली घोड़ाडोंगरी, सूर्यवंशी क्षत्रिय भोयर कुर्मी समाज आमला जिला बैतूल, महार समाज विकास परिषद जिला बैतूल, अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा बैतूल आदि थे उससे यह प्रतीत होता है की आमला सारणी में उनकी पकड़ लगातार बढ़ती जा रही है और उन्हें सभी वर्गों का साथ मिलता नजर आ रहा है.


आज के उनके कार्यक्रम में उनकी राजनीतिक एवं सामाजिक आंदोलन की भी परिपक्वता देखने को मिली जिससे आमला सारणी की जनता अब उन्हें एक मजबूत जनप्रतिनिधि की नज़रों से देखने लगी है।
अब इस्तीफा के मामले पर सरकार क्या निर्णय लेती है अथवा उन्हें कोर्ट से क्या राहत मिलती है यह तो आने वाला समय ही बताया परंतु उनके इस तरह के कार्यक्रम और आंदोलन ने जिले के लोगों को जागरूक और जिले की राजनीति को दिलचस्प बना दिया है।