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डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने इस्तीफा स्वीकार करने महामहिम राष्ट्रपति से लगाईं गुहार,

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ब्यूरो रिपोर्ट

भारतीय संविधान को साक्षी मान परिणय सूत्र में बंधने की मिसाल पेश करने  वाली एवं  देश के लाखों युवाओं की प्रेरणा श्रोत, मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के लवकुशनगर की युवा एसडीएम ( डिप्टी कलेक्टर) निशा बांगरे, विगत 3 माह पूर्व 22 जून 23 को अपने पद से इस्तीफा सौपने के बाद  अब एक बार फिर चर्चा में है। बता दे की  मध्यप्रदेश शासन द्वारा उनका इस्तीफा अभी भी मंजूर नही किया गया है।  जिससे  आहात हो कर हाईकोर्ट की शरण में जाने के  बाद अब उन्होंने भारत की  महामहिम राष्ट्रपति  एवं मध्यप्रदेश के महामहिम राज्यपाल तथा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  को पत्र लिख इस्तीफा मंजूर किये जाने की गुहार लगाईं है।

उन्होंने पत्र में अपने अनुसूचित जाति वर्ग की महिला होने का हवाला देते हुए सामान्य प्रशासन विभाग  पर आर्थिक एवं मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के आरोप लगाते हुए लिखा है कि उन्हें अपने ही घर के उद्घाटन कार्यक्रम में आयोजित सर्वधर्म प्रार्थना में जाने से तथा भगवान बुद्ध की अस्थियों के दर्शन करने से शासन के पत्र द्वारा उन्हें रोका गया और जब इस से आहत होकर उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया तो उन्हेंउसके बाद भी उन्हें तरह तरह से परेशान किया जा रहा है!

3 महीने तक उनके इस्तीफा पर कोई निर्णय नहीं लिया गया और इसके बाद जब वह न्याय के लिए हाई कोर्ट की शरण में गई तो कोर्ट को भी गुमराह करते हुए शासन ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी GAD के सर्कुलर के विपरीत उनके खिलाफ अपने घर के कार्यक्रम में सम्मिलित होने के कारण विभागीय जांच शुरू कर दिया और फिर उसी जांच का हवाला देकर उनके इस्तीफा को अस्वीकार कर दिया!

इस प्रकार  तरह-तरह से उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है उन्होंने बताया कि इस तरीके से एक दलित महिला अधिकारी को बेवजह प्रताड़ित करने से संपूर्ण दलित समुदाय, आदिवासी समुदाय और सभी महिलाओं में आक्रोश है तथा एक अधिकारी को इस तरीके से परेशान करने से तथा बैक डेट में नोटिस देने से और बेवजह विभागीय जांच शुरू किए जाने से अंदर खाने अधिकारी वर्ग भी व्यथित हैऔर शासन के इस कृत्य से उनके मन में भी दुख और असंतोष है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि  उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जाता है तो वह आमरण अनशन करके अपने प्राण त्याग देगी परंतु अपने अधिकारों से समझौता कर के जीना पसंद नहीं करेगी।

बता दे की निशा बांगरे से साथ अब अनेक सामाजिक संगठन भी उनके समर्थन में उतर आये है जिन्होंने भी पत्र लिख शासन की मंशा पर सवाल खड़े किये है।