scn news indiaबैतूल

बैतूल हमलापुर में मनाया गया पोला पर्व का त्यौहार समाज सेवक छुट्टन पटेल ने किया कार्यक्रम का आयोजन

Scn news india

बैतूल से संतोष प्रजापति की रिपोर्ट

भारतीय संस्कृति में भिन्न-भिन्न प्रकार के तीज त्यौहार मनाए जाते हैं। भारतीय संस्कृति विभिन्न समुदाय के बाद, विभिन्न तीज, त्योहारों का देश माना गया है। यहां पर पत्थर, नाग देवता, पेड़ ,नदिया, गाय बैल आदि की पूजा समय आने पर करने का रिवाज है? सभी को सम्मान दिया जाता है। पूरी दुनिया में भारत देश एक अनोखा देश माना जाता है ।इसी तारतम्य में, आज बैलों का पर्व पोला बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। पोला के एक दिन पहले भी खानमलिनी नमक पर्व होता है। जिसमें बैलों से काम ना लेकर उन्हें, नदी पर ले जाकर नहलाते हैं, पकवान खिलाकर पूजा करते हैं।

पोला के दिन, वृषभ राज, यानी बैलों को रंग बिरंगी चमकी, बेगड़ , सिंग में रंगीन तुर्रे से सजाया जाता है ।इस दिन बैलों का विशेष परिधान भी उन्हें पहनाया जाता है। सजा कर शाम के समय पोला मैदान में नगर के सारी बेल जोड़ियां को क्रम से एक विशेष प्रकार की तोरण के नीचे खड़ा किया जाता है। नगर में भी परंपरागत रूप से ही पोला पर्व मनाया गया। इस दिन शाम 4:00 बजे के बाद नगर के सारे बेल जोड़ियां सज सवरकर पोला मैदान पहुंची। सारी जोड़ियां रंग बिरंगी दिखाई दे रही थी, ऐसा लग रहा था कि जैसे ,बैलों का मेला लगा हो। उसे देखने के लिए विशेष भीड़ भी रहती है। कहीं पर खिलौने की दुकान, गुब्बारों की दुकान, चाय नाश्ता सभी प्रकार की दुकान यहां पर लगती है ।।जिससे एक मेला सा प्रतीत होता है ।

पोला पर्व मैदान में, एक विशेष प्रकार की लंबी तोरण के नीचे बैल जोड़ियां खड़ी थी। सब जैसे तोरण टूटने का इंतजार कर रहे थे। समय होते ही नगर के देशमुख परिवार ने ,वृषभ राज की पूजा की, और हर बार की तरह, इस बार भी, देशमुख पटेल परिवार के समाज सेवक छुट्टन पटेल द्वारा बैलजोडिया, मैदान में दौड़ने लगी ।उसी दौरान कोई बैल, भीड़ में आ जाने से थोड़ी अफरा तफरी भी मच जाती है। बड़ा ही मनमोहक दृश्य होता है।दौड़ पूरी होने के बाद घर लौटते समय, पूरी सड़कों पर बैल जोड़ियां ही नजर आती है। शाम को जोड़ी को लेकर किसान घर-घर जाते हैं, वहां पर भी वृषभराजो की आरती उतार कर, उन्हें मीठा या पूरी खिलाकर, किसानों को इनाम भी दिया जाता है ।

इस तरह से नगर में पोला पर्व परंपरागत रूप से प्राचीन काल से मनाते आ रहा है। बताया जाता है कि, महाराष्ट्र में यह पर्व और भी शान से मनाया जाता है।रात दिन खेतों में किसानों के साथ जूट कर काम करने वाले वृषभ राज् को पूरे सम्मान के साथ पूजा कर, भगवान का रूप और दुनिया को अन्न देने वाले दाता माना जाता है। दौड़ में प्रथम, द्वितीय, तृतीय आने वाली जोड़ी को पुरस्कार भी दिया जाता है। आजकल के समय में ट्रैक्टर और मशीनों के युग में, भले ही पोला का स्वरूप बदल गया हो,, परंतु इसके बाद भी यह पर्व शहरों से लेकर गांव तक, परंपरागत रूप से आज भी मनाया जाता है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से समाज सेवक छुट्टन पटेल वार्ड पार्षद किरण खातरकर सावनया शेषकर अमरू यादव नन्हे यादव बसंत यादव एवं समस्त वार्ड वासी बड़ी संख्या में कार्यक्रम में उपस्थित रहे।