4 संभागों के जिलों में भारी बारिश की संभावना

- मौसम विज्ञानियों के मुताबिक बुधवार को पूरे प्रदेश में गरज-चमक के साथ वर्षा होने की संभावना है। विशेषकर भोपाल, इंदौर, जबलपुर एवं नर्मदापुरम संभाग के जिलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है।
- मौसम विज्ञानियों के मुताबिक बुधवार को पूरे प्रदेश में गरज-चमक के साथ वर्षा होने की संभावना है।
Rain in MP: भोपाल । मध्य प्रदेश में एक बार फिर से मानसून सक्रिय हो रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही पूरे प्रदेश में अच्छी बारिश होगी। बंगाल की खाड़ी में कम दबाव का क्षेत्र बनने के साथ ही मानसून द्रोणिका का पूर्वी सिरा भी सामान्य स्थिति में आ गया है। इस वजह से काफी समय से शिथिल पड़ा मानसून फिर सक्रिय हो गया है। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक बुधवार को पूरे प्रदेश में गरज-चमक के साथ वर्षा होने की संभावना है। विशेषकर भोपाल, इंदौर, जबलपुर एवं नर्मदापुरम संभाग के जिलों में कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हो सकती है। उधर, वर्षा का दौर शुरू होने से हताश हो चुके किसानों के चेहरे खिल गए हैं। सूख रही फसलों को जीवनदान मिल गया है।
कहां कितनी बारिश दर्ज
मंगलवार को सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक नरसिंहपुर में 41, सिवनी में 27, नौगांव में 22, ग्वालियर में 18.5, सतना में 14, मंडला में 12, छिंदवाड़ा में 10, जबलपुर में 8.6, सीधी एवं पचमढ़ी में सात, शिवपुरी एवं नर्मदापुरम में छह, रायसेन में तीन, मलाजखंड में दो, भोपाल में एक, गुना में 0.8, सागर में 0.2 मिलीमीटर वर्षा हुई।
यह है वर्तमान सिस्टम
मौसम विज्ञान केंद्र के मौसम विज्ञानी एसएन साहू ने बताया कि वर्तमान में बंगाल की खाड़ी में उत्तरी आंध्र एवं दक्षिणी ओडिशा के तट पर कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। मानसून द्रोणिका का पश्चिमी छोर हिमालय की तराई में है, लेकिन पूर्वी सिरा नजीबाबाद, लखनऊ, सतना, रायपुर से होते हुए कम दबाव के क्षेत्र से होकर बंगाल की खाड़ी तक बनी हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश से लेकर कम दबाव के क्षेत्र तक एक द्रोणिका बनी हुई है।
अच्छी बारिश की संभावना बढ़ गई
मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि मानसून के फिर सक्रिय होने से पूरे प्रदेश में रुक-रुककर अच्छी वर्षा होने की संभावना बन गई है। बता दें कि इस सीजन में मध्य प्रदेश में एक जून से लेकर मंगलवार सुबह साढ़े आठ बजे तक 664.5 मिलीमीटर वर्षा हुई है। जो सामान्य वर्षा (823.9 मिमी.) की तुलना में 19 प्रतिशत कम है। प्रदेश के 27 जिलों में सामान्य से 47 प्रतिशत तक कम वर्षा हुई है। इससे सोयाबीन, धान की फसलों पर सूखे का खतरा मंडराने लगा था।