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यूसीसी के विरोध में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री का फूंका पुतला

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विशाल भौरासे की रिपोर्ट 

  • यूसीसी के विरोध में प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री का फूंका पुतला
  • जयस संगठन ने बरसते पानी में सड़क पर बैठकर किया उग्र प्रदर्शन
  • राष्ट्रीय विधि आयोग के सदस्य सचिव के नाम कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

बैतूल। जयस संगठन ने बुधवार को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का पुतला दहन कर समान नागरिकता कानून का विरोध किया। जयस के बैनर तले सैकड़ों समर्थकों ने बरसते पानी में सड़क पर बैठकर केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। राष्ट्रीय विधि आयोग के सदस्य सचिव के नाम कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा। संगठन के जिला अध्यक्ष जिला पंचायत सदस्य संदीप कुमार धुर्वे ने कहा कि आदिवासी समाज यूनिफार्म सिविल कोड को लेकर चिंतित है, यदि इसे आदिवासी समाज या अनुसूचित क्षेत्र 244.1 व 2 में लागू किया जाता है तो इनके कस्टमरी लॉ खतरे में आ जाएंगे।

आदिवासी समाज सदियों से अपनी नेचुरल ज्युडिशियरी व्यवस्था से संचालित होता आया है यहां की अपनी रुड़ी प्रथाएं हैं जिसे संविधान मान्यता देता है और 13.3 क में इसे विधि का बल प्राप्त है। 22 वें लॉ कमीशन ने एक समान नागरिक संहिता / यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने या ना लागू करने हेतु आपत्ति या सहमति मांगे थे, जिस पर हम देशभर के आदिवासी समुदाय को शय के साथ में डर भी है कि अन्य धर्म / जाति के पर्सनल लॉ की सिविल कोड की समानता के साथ ही देश भर के आदिवासी / अनुसूचित जनजातियों की कस्टमरी लॉ यानी हिन्दू मुस्लिम, ईसाई पर्सनल लॉ से विपरीत शादी उत्तराधिकार आदि के अलग कानून रीति रिवाज परम्परा के अनुसार कस्मरी लों को समाप्त कर एक समान नागरिक संहिता हम पर भी लागू किया जायेगा। चूँकि संविधान में अनुसूचित जनजाति का स्टेटस हम आदिवासियों के अलग रीति रिवाज, परम्परा, शादी विवाह, जन्म मृत्यु संस्कार, उत्तराधिकार तथा गाँव की अलग व्यवस्था के तहत प्राप्त है, जिसको संविधान के अनुच्छेद 13 (3) क भी मान्यता देती है। (सुप्रीम कोर्ट का मधु किश्वर बनाम बिहार राज्य 1996) एक समान नागरिक संहिता / यूनिफार्म सिविल कोड हम देशभर के अनुसूचित जनजातियों पर लागू होने के साथ ही संविधान में अधिसूचित हमारी अनुसूचित जनजाति यानी कि एसटी का स्टेटस समाप्त हो जायेगा, चूँकि जल, जंगल, जमीन, खनिज आदि पर आये सुप्रीम कोर्ट के कई तरह के जजमेंट (समता बनाम् आन्ध्र प्रदेश 1997, पी. रम्मी रेड्डी जजमेंट 1988 आदि) देशभर में लागू जमीन के कानून टेनेंसी एक्ट और लैंड रिवेन्यू कोड में एसटी और SC के जमीन के विशेषाधिकार यानी एस.टी. की जमीन एस.टी. को ही बिकेगी तथा एस.सी. की जमीन एस. सी. को ही बिकेगी यह भी समाप्त हो जायेगा।संविधान के तहत अनुच्छेद 244 (1) के प्रावधान पांचवी अनुसूची में प्राप्त विशेषाधिकार अलग प्रशासन व्यवस्था, जहाँ पर संविधान के होते हुए भी 5 वीं अनुसूची प्रावधान के पैरा दो में अनुसूचित क्षेत्र में कार्यपालक मजिस्ट्रेट का प्रावधान है। जयस कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि यदि समान नागरिक संहिता आदिवासियों पर लागू किया गया तो जयस उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होगा। ज्ञापन सौंपने वालों में जयस जिला अध्यक्ष संदीप कुमार धुर्वे, महेंद्र सलामे, उमेश सलामे, प्रकाश धुर्वे, अजय, मोहन, प्रकाश, मुकेश, बलवंत सहित सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे।