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एक दिन में बदल गया माहौल जो नहीं जानते थे अब वे भी जानते है निशा बांगरे कौन है

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ब्यूरो रिपोर्ट

आदिवासी अंचल बैतूल का आमला आज  गांव गली से ले कर राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पटल पर सुर्खियों में है । अखबार टीवी चैनल डिजिटल मिडिया सोशल मिडिया में यदि कोई सुर्खी में है तो बस एक इस्तीफा -डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे का।  जो शख्स निशा जी को जानता नहीं था, वह भी आज जानने लगा है कि  कोई लेडी ऑफिसर ने अपने ही मकान के उद्घाटन में सम्मिलित होने प्रशासनिक अनुमति नहीं मिलने पर, कठोर फैसला लेते हुए मध्य प्रदेश शासन के  प्रशासनिक पद से इस्तीफा दे दिया। जो सरकार सबका साथ सबका विकास सबका प्रयास का नारा बुलंद करती है।

हालांकि इस्तीफे पर 24 घंटे बाद भी अभी भी कोई अंतिम फैसला शासन की और से आया नहीं है। ये भी हो सकता है की प्रदेश के मुखिया के संज्ञान में मामला आने के बाद डिप्टी कलेक्टर साहिबा को लाड़ली बहना की सौगात में अपने घर के उद्घाटन में शामिल होने की अनुमति दे दी जाय। ऐसा करने पर ये सरकार का बड़प्पन होगा।

या फिर सत्ता दल भी  चाहती है कि ऐसी परिस्थिया निर्मित करा दी जाय की डिप्टी कलेक्टर साहिबा प्रशासनिक जिम्मेदारियों से मुक्त हो कर जनता का प्रतिनिधित्व करे। क्योकि जग जाहिर है निशा बांगरे आमला क्षेत्र के लिए एक दमदार चेहरे के रूप में उभर कर सामने आ रही है। और इस्तीफे के बाद आज जनता की सद्भावना लहर 1000 गुना बढ़ गई। हर आम ख़ास और धार्मिक सामाजिक और कर्मचारी संगठनों ने उन्हें अपना समर्थन देना शुरू कर दिया है। सोशल मिडिया ग्रुप इससे पटे पड़े है।

राजनीती में आने के संकेत 

बैतूल में हुई पत्रकार वार्ता में जब एक पत्रकार ने इस्तीफा मंजूर नहीं होने पर क्या नौकरी ज्वाइन कर लेगी,  के सवाल पर निशा का जवाब था “बिल्कुल नहीं” मैंने इस्तीफा दे दिया स्वीकार हो तो भी ठीक, नहीं हो तो भी अब वह ज्वॉइन नहीं करेगी। जो अब उनकी मंशा को स्पष्ट जाहिर करता है वे प्रशासनिक रवैये से कितनी आहत है।

निशा बांगरे का कहना है कि  आपके द्वारा मुझे लोगों को आमंत्रण देने जाने और शोभायात्रा में सम्मिलित होने की अनुमति नहीं दी गई मैंने मान लिया।  लेकिन मुझे मेरे मकान के उद्घाटन में भी शामिल होने की अनुमति नहीं देना क्या उचित है। उनका कहना है कि  जब मै खुद के लिए कुछ नहीं कर पाई तो औरो को इंसाफ कैसे दिला पाउंगी।

इसका मतलब भी साफ़ है कि यदि कोई पार्टी टिकट ना भी दे तो वे मैदान में डटी रहेगी। संभव है की दोनों बड़ी पार्टियां इनके संपर्क में है।

अनुमति नहीं दिए जाने का कारण 

प्रशासन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सर्व धर्म सम्मलेन को आयोजन की अनुमति ना देने के पीछे सुरक्षा कारण निकल कर सामने आ रहे है। एक मिडिया रिपोर्ट के अनुसार गृहमंत्रालय को मिले इनपुट बताते है की आयोजक समिति ने अनुमति आवेदन के साथ आयोजन में शामिल होने वाले विदेशी मेहमानों की सम्पूर्ण जानकारी जैसे परिचय सत्यापन एवं वीजा सम्बन्धी जानकारी पूर्ण नहीं की जैसा की बताया गया है कि  11 देशों के मेहमान कार्यक्रम में शिरकत करेंगे जिनमें श्रीलंका से न्याय मंत्री एवं अन्य वीवीआईपी भी शामिल होंगे।  चूँकि सभी वीवीआईपी क्षेणी में है ऐसे में इनकी सुरक्षा की प्राथमिकता का  हवाला देते हुए प्रबंध को ना काफी बता अनुमति देने में असमर्थता दर्शाई गई है।  कारण और भी हो सकते है।

आयोजक समिति का दावा आयोजन होगा 

वही आयोजक समिति गगन फाउंडेशन का दावा है की कार्यक्रम गृह प्रवेश का है जो होगा। निजी आमंत्रण पर सभी मेहमान अपने संसाधनों से आएंगे , रही बात वीजा सम्बन्धी तो सारे मेहमान शिक्षित और जिम्मेदार है। बिना प्रकिया पूरी किये नहीं आएंगे। चूँकि गृह प्रवेश के शुभ अवसर पर ये सर्व धर्म विश्व शांति का सन्देश लेकर और तथागत भगवान् बुद्ध की पवित्र अस्थियां के दर्शन लाभ एवं आशीर्वाद देने के लिए नगर में स्थित नवनिर्मित मकान प्रांगण में आ रहे है। ऐसे में जिनकी आस्था है और वो आते है तो धार्मिक कार्यक्रम से कैसा परहेज।

प्रशासन अलर्ट 

कार्यक्रम के बताये गए रुपरेखा के बाद नगर में सुरक्षा व्यवस्था को ले कर पुलिस प्रशासन और इंटेलिजेंस भी अलर्ट मोड़ पर है। पल पल की गतिविधि पर प्रशासन नजर बनाये है। नगर में लगे सभी होर्डिंग बैनर स्थानीय प्रशासन द्वारा बिना अनुमति लगाने पर हटा दिए गए है।

आयोजन पर आपत्ति का दुसरा कारण 

हमारी पड़ताल में ऐसे कई मामले आये जिनमे कई प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा अपने मकान, प्रतिष्ठान, रिसोर्ट, मॉल ,गोदाम आदि के उद्घाटन अवसर पर वे खुद विशिष्ट अतिथियों के साथ कार्यक्रम स्थल पर मौजूद रहे। जिन्होंने कोई पूर्व अनुमति नहीं ली थी। किन्तु यहाँ सर्व धर्म सम्मलेन में एक माह पूर्व से बड़ी तैयारी कहीं ना कहीं शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखी जा रही थी।

इसमें कोई शक नहीं है है कि निशा बांगरे को राजनीति से कोई परहेज है। वो साफ़ कहती है की यदि कोई ऑफर उन्हें मिलता है तो परिवार के बीच मंत्रणा करेगी। वही अब स्थानीय जनता भी इस्तीफे के बाद उनमे अपना नेता ढूंढने लगी है। यदि वो चुनाव में खड़ी होती है तो लोगो का मानना है कि अप्रत्याशित परिणाम आने से कोई रोक नहीं सकता। हालांकि ये अभी कहना जल्द बाजी होगी।

डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने पत्रकारवार्ता में बताया आखिर क्यों दिया इस्तीफा-अब आगे क्या