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लू-तापघात से बचाव के लिये एडवायजरी

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मनोहर

लू-तापघात से बचाव हेतु जारी एडवायजरी में कहा गया है कि जिले में अत्यधिक गर्मी को दृष्टिगत रखा जाये, ऐसे शुष्क वातावरण में लू व तापघात की संभावना जानलेवा भी हो सकती है

लू से बचाव के लिए क्या करें

गर्मी के दिनों में धूप में बाहर जाते समय हमेशा सफेद या हल्के रंग के ढीले सूती वस्त्रों का प्रयोग करें, भोजन करके एवं पानी पीकर ही बाहर निकलें। गर्मी के मौसम में गर्दन के पिछले भाग, कान व सिर को गमछे या तौलिए से ढ़क्कर ही धूप में निकलें, रंगीन चश्मे व छतरी का प्रयोग करें। गर्मी में हमेशा पानी अधिक मात्रा में पीयें एवं पेय पदार्थों का अधिक से अधिक मात्रा में सेवन करें, बाहर जाते समय अपने साथ पानी रखें। गर्मी के दिनों में बच्चों का विशेष ध्यान रखें, बच्चों को सिखायें कि जब भी उन्हें अधिक गर्मी महसूस हो तो वे तुरंत घर के अंदर आयें। गर्मी के दिनों में बुजुर्गों का भी विशेष ध्यान रखें, उन्हें धूप में घर से बाहर न निकलने देवें, समय-समय पर पानी पीने के लिए प्रेरित करें, सुपाच्य भोजन एवं तरल पदार्थों का सेवन करायें। गर्मी के दिनों में ठंडे मौसमी फलों का सेवन करें। तीव्र धूप को अंदर आने से रोकें।

लू से बचाव के लिए क्या न करें

बिना भोजन किए बाहर ना निकलें। जहां तक संभव हो, ज्यादा समय तक धूप में खड़े होकर व्यायाम मेहनत व अन्य कार्य न करें, बहुत अधिक भीड़, गर्म घुटन भरे कमरों में न जायें, रेल, बस आदि की यात्रा गर्मी के मौसम में अत्यावश्यक होने पर ही करें। गर्भवती माता, बच्चों एवं बुजुर्गों को दिन के सबसे गर्म समय जैसे- दोपहर 12 से 4 बजे तक घर के बाहर की गतिविधियों में शामिल न होने दें। धूप में बच्चों और पालतू जानवरों को गाड़ी में अकेला न छोड़ें। धूप में नंगे पांव न चलें। चाय, कॉफी, अत्यधिक मीठे पदार्थ व गैस वाले पेय पदार्थों का सेवन न करें।

लू लगने के लक्षण इस प्रकार हैं

गर्म, लाल और सूखी त्वचा, शरीर का तापमान 40 सेल्सियस या 104 फेरेंनाइट, मितली या उल्टी आना, बहुत तेज सिर दर्द, मांसपेशियों में कमजोरी या ऐंठन, सांस फूलना या दिल की धड़कन तेज हो जाना। घबराहट होना, चक्कर आना, बेहोशी और हल्का सिरदर्द।

प्राथमिक उपचार इस प्रकार दिया जाये

रोगी को तुरंत छायादार जगह पर कपड़े ढ़ीले कर लिटा दें एवं हवा करें। रोगी के बेहोश होने की स्थिति में कोई भी भोज्य, पेय पदार्थ ना दें एवं तत्काल चिकित्सा सहायता प्राप्त करें। रोगी के होश में आने की दशा में उसे ठंडे पेय पदार्थ, जीवन रक्षक घोल, कच्चा आम का शर्बत (पना) आदि दें। रोगी के शरीर का ताप कम करने के लिए संभव हो तो उसे ठंडे पानी से स्नान करायें या उसके शरीर पर ठंडे पानी की पट्टियां रखकर पूरे शरीर को ढक दें, इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक कि शरीर का ताप कम नहीं हो जाता।