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साक्षात्कार -कुमारी कनिका पवार कास्लेकर -जेईई मेन्स 91..76% अंकों के साथ उत्तीर्ण

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दीनू पवार की रिपोर्ट 

सिविल सर्विसेस जॉइन करना चाहती है कनिका और समाज की बेटियों को हर संभव योगदान देने में सक्षम होना चाहती है

मम्मी ने परिणाम की सूचना और बधाई तथा दादी ने दी प्रोत्साहन राशि

सुखवाड़ा और अस्मिता वेलफेयर का मानस अभिभावक बनना और प्रोत्साहन देना बहुत अच्छा लगा और आगे आने वाली परीक्षाओं के लिए मोटिवेशन मिला

1. आपको जेईई की जानकारी कब और किसके माध्यम से लगी?

कनिका- न्यूजपेपर, स्कूल आदि

2. आपने इसकी तैयारी के लिए अपनी बोर्ड परीक्षा के पाठ्यक्रम को आधार बनाया या कहीं अतिरिक्त कोचिंग आदि ली?

कनिका-मेरा मेन फोकस पहले से ही जेईई पर था ईसलिए कोचिंग ली थी।

3. जेईई का परिणाम आने की आपको सूचना कब और किसके माध्यम से मिली?

कनिका- मेरी मम्मी ने ऑफिस से मुझे फोन करके सूचना और बधाई दी ।

4. परिणाम और अपना स्कोर देखकर आपको सबसे पहले किसने बधाई और शुभकामनाएँ दी?

कनिका- मम्मी और पापा ने।

5. आपके किसी परिचित या रिश्तेदार की प्रतिक्रिया जिससे आपको खुशी हुई?

कनिका- मेरी दादी ने प्रोत्साहन राशि दी उन्हें बहुत खुशी हुई।

6. सुखवाड़ा द्वारा प्रतिभाओं के मानस अभिभावक बनना और प्रोत्साहन देना आपको कैसा लगा? क्या आपकी नजर में समाज में इस तरह के अभियान सही दिशा में काम कर रहे है?

कनिका- मुझे बहुत अच्छा लगा और आगे आने वाली परीक्षाओं के लिए मोटिवेशन मिला। यह बहुत अच्छा अभियान है।

7. आपके अनुसार समाज की प्रतिभाओं को प्रोत्साहन राशि और प्रशस्ति पत्र दिया जाना चाहिए या नहीं?
इसके देने से आपको कैसा महसूस हुआ?

कनिका-इस अभियान से सभी छात्रों को खुशी हुई होगी और मनोबल बढ़ा होगा, इसलिए मै सुखवाड़ा और अस्मिता वेलफेयर को धन्यवाद देना चाहूँगी।

8. आप क्या बनना चाहती है और नौकरी में लगकर आप अपने समाज के लिए क्या करना चाहोगी?

कनिका- मैं सिविल सर्विसेस जॉइन करना चाहती हूँ।
आगे समय में मैं समाज और खास कर समाज की बेटियों को हर संभव योगदान देने में सक्षम होना चाहती हूँ।

9. आप समाज की बेटियों को क्या संदेश देना चाहेंगी?

कनिका- मैं समाज की बेटियों से कहना चाहूँगी की लड़कियों को हर फील्ड में आगे बढ़ना चाहिए। खुद की किसी से तुलना न करें आत्म विश्वास और मेहनत के साथ आगे बढ़े आपको सफलता जरूर मिलेगी।

10. आपने अपनी इस शानदार उपलब्धि के लिए क्या क्या किया और आप इसका श्रेय किसे देना चाहेंगी?

कनिका- मैंने सिलेबस खत्म करने के बाद खुद के शॉर्ट नोट्स बनाए। रिवीजन और प्रीवियस पेपर हल करने को बराबर समय दिया। mock पेपर का घर आकर एनालिसिस करती थी।
अपनी उपलब्धि का श्रेय मैं अपने माता-पिता को देना चाहूँगी। mock टेस्ट में कम नम्बर आने पर मैं बहुत दुखी हो जाती थी लेकिन उन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया और पढ़ने के लिये मोटिवेट किया ।