जिला योजना समिति की बैठक मे मां माचना एजेंडे मे क्यो नहीं,,,,,हेमंत चंद्र दुबे

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संतोष प्रजापति की रिपोर्ट बैतूल

बैतूल,।सबकी आंखों के सामने मां माचना मर गई प्राण विहीन हो गई है लेकिन योजना समिति की मंत्री जी की अध्यक्षता में हुई बैठक में मां माचना पर विचार विमर्श संभव नहीं हो सका । निर्माण कार्यों की गुणवत्ता के लिए चर्चा हुई निर्देश जारी हुए। सख्त से सख्त कार्यवाही की हिदायत चेतावनी दी गई । सदस्य सिर्फ मां माचना की मौत पर दो शब्द नही कह और बोल पाते है । आखिर क्यों?

जिला योजना समिति में निर्वाचित सदस्यहैं , जन प्रतिनिधि भी है , प्रशासन का पूरा का पूरा अमला बैठा होता हैं ।समाचार पत्र मीडिया , सामाजिक कार्यकर्ता माचना की हालात को लेकर बार बार सभी को बता रहे हैं । अधिवक्ता श्री गिरीश गर्ग की दलील पर माननीय न्यायालय के आदेश भी जारी किए जा चुके पुनः आदेश के लिये याचिका दायर की जा चुकी हैकिंतु दुःख का विषय हैं की मां माचना पर बैतूल योजना समिति मौन व्रत धारण कर लेती है। ऐसा नहीं है की व्यक्तिगत रूप से मेरे द्वारा प्रत्येक योजना समिति के सदस्य को व्हाटशॉप के जरिए ज्ञापन भेजा गया है और उनके द्वारा उसे पढ़ा भी गया है किंतु किसी ने मां माचना पर कहना बोलना उचित नहीं समझा है ।

ऐसा लगता है मां माचना के प्राण विहीन हो जानें से बेतूल की योजना समिति को कोई लेना देना नहीं है । मां माचना उनके विचार विमर्श में शामिल नहीं हैं । आप सभी लोग मां के प्रति योजना समिति सदस्यों की संवेदन शीलता का अंदाजा लगा सकते है। जिला योजना समिति में अधिकांश सदस्य ऐसे भी है जो कि प्रतिवर्ष मा,माचना का महोत्सव मनाते हैं तथा तथा माचना नदी को चुनरी भेट कर आरती उतारते,हैं क्या यह सारे कार्य ढकोसला है दिखावा है क्या उन्हें माचना नदी में फैली गंदगी प्लास्टिक पॉलिथीन एवं कैंसर रूपी जलकुंभी दिखाई नहीं दे रही है क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं है कि बैतूल,की जीवनदायिनी माचना नदी मैं फैली गंदगी प्लास्टिक पॉलीथिन एवं कैंसर रूपी जलकुंभी को सफाई करने के लिए जिला योजना समिति में एजेंडा लाए आज लगभग आज लगभग एक माह होने को जा रहा है मां चरण नदी की दुर्दशा की कहानी सीएमओ अक्षत बुंदेला को सुनाने के बाद भी उनके द्वारा इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है शायद वह पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी बरसात का इंतजार कर रहे हैं ताकि बाढ़ में सारी गंदगी बह जाए आखिर प्रशासनिक अधिकारी समाजसेवी बैतूल के दिग्गज नेताओं की आंखें कब खुलेंगी और वे निर्जीव हो चुकी माचना नदी को पुनः जीवित करें समाजसेवी कैंसर फाइटर स्वच्छता के दू त हेमंत चंद्र दुबे का कहना कि
मै योजना समिति की इस बैठक मे मां माचना के विषय को शामिल नहीं किए जाने का विरोध करता हूं और मां माचना की मौत के लिए प्रत्येक सदस्य, जन प्रतिनिधियों , प्रशासनिक अधिकारियों को क्यों न दोषी माना जाए?