माचना की दुर्दशा देख अपने दर्द रोक नहीं पाते बबलू भैया, बिना शोर शराबा किये रोज अकेले ही साफ कर रहे माचना नदी
संतोष प्रजापति
बबलू भैया, बिना शोर शराबा किये रोज अकेले ही साफ कर रहे माचना नदी बैतूल आज के दौर में कुछ लोग जब अपनो के लिए भी नहीं रोते ऐसे निष्ठुर समाज मे जीवटता की मिसाल हेमन्त दुबे यानी बबलू भैया जैसा शख्स भी है जो शहर सहित माचना नदी में व्याप्त प्रदूषण की चर्चा करते हुए फूट फूट कर रो पड़ते हैं। वे कहते हैं कि सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा साफ करने या माचना नदी से खरपतवार हटाकर उनका कोई निजी स्वार्थ सिद्ध नहीं हो जाएगा बल्कि वे आने वाली पीढ़ियों के लिए एक स्वच्छ प्रदूषण रहित वातावरण बनाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन उनके इस प्रयास में ना तो समाज उनके साथ खड़ा होता है और ना प्रशासन और जनप्रतिनिधि।
अकेले ही साफ कर रहे माचना नदी का प्रदूषण
इन दिनों बबलू दुबे रोजाना शाम 5 बजे के वक्त कर्बला घाट के आसपास दिखाई देते हैं। हाथ मे फावड़ानुमा एक औजार, कचरा भरने के लिए कुछ बड़े आकार के बोरे लिए बबलू दुबे माचना नदी को अकेले ही साफ करने में जुटे हुए हैं। वे ऐसा नहीं कहते कि अकेले ही पूरी नदी साफ कर देंगे लेकिन उन्हें भरोसा है कि उनके प्रयास से एक नया एक दिन समाज मे जागरूकता आएगी और लोग उनकी भावना को समझेंगे। बबलू दुबे माचना नदी से रोजाना दो से तीन क्विंटल प्लास्टिक ,पन्नी का कचरा और खरपतवार निकाल रहे हैं। उनके पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं लेकिन हौसला फौलादी है।
बबलू दुबे के अनुसार यूं तो माचना नदी अपने उद्गम से लेकर तवा में मिलने तक जगह जगह प्रदूषित हो चुकी है लेकिन वर्तमान में बैतूल के कर्बला घाट के आसपास जो खरपतवार फैली है उसकी सबसे बड़ी वजह है नदी के अंदर फैला प्लास्टिक पन्नियों का कचरा। इस कचरे के ऊपर खरपतवार तेजी से फैलती जा रही है। नदी की ऊपरी सतह पर केवल खरपतवार दिखती है लेकिन इसके नीचे बेहिसाब कचरा जमा हुआ है जिससे नदी के अंदर ना तो धूप पहुंच रही है और ना ऑक्सीजन जिससे जलीय जीवों को भी हानि हो रही है और नदी का पानी मानवीय उपयोग के योग्य नहीं रह गया है ।
कैंसर का दंश झेला है इसलिए करते हैं समाज की चिंता
बबलू दुबे खुद एक कैंसर सर्वाइवर हैं जिन्होंने कैंसर जैसे जानलेवा रोग को मात दी और आज भी कई तरह के शारीरिक कष्टों से जूझ रहे हैं लेकिन वो चाहते हैं कि समाज और आने वाली पीढ़ियों को कैंसर मुक्त बनाना है जिसके लिए जमीन और जल स्त्रोतों से सिंगल यूज प्लास्टिक और औद्योगिक कचरे का सफाया बेहद आवश्यक है । पिछले कई वर्षों से वो समाज को ये बात समझाने की कवायद में जुटे हैं लेकिन लोग अपने भविष्य की चिंता नहीं कर रहे ।