जो ज्ञान मिला है उसे रखना नहीं है उसका विस्तार करना है
योगेश चौरसिया जिला ब्यूरो
जिन स्त्रोत विद्वान एवं वैज्ञानिकों ने इन पांच दिनों में जो शिक्षण के अभिनव और नवाचारी प्रयोगों, उद्बोधन एवं संबोधन के तरीके सिखाएं हैं, उस ज्ञान को अब अपने विद्यार्थियों सहित जहां मौका मिले विस्तार करना है आत्मसात करना है। ये बात डाइट प्राचार्य राजेश कुमार जायसवाल ने कार्यशाला के प्रतिभागियों को समापन के अवसर पर कही। जायसवाल ने आगे कहा कि रुका हुआ पानी भी सड़ने लगता है इसलिए मिले ज्ञान को रोकना नहीं है उसे बहने देना है।
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (भारत सरकार) नई दिल्ली के सहयोग से एस्ट्रोनॉमिका साइंस एक्टीविटी एण्ड एजूकेशन सेन्टर मध्यप्रदेश द्वारा मंडला जिले के ट्रेनी टीचर्स में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये नवाचारी पद्धति से विज्ञान शिक्षण की प्रशिक्षण कार्यशाला का समापन 12 अप्रैल बुधवार को हुआ।
प्रतिभागी छात्र अध्यापकों ने कार्यशाला के समापन अवसर पर फीडबैक देते हुए सभी वैज्ञानिक शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया। रागिनी नंदा, प्रभा दाहिया, खेमराज मंडवे, प्रिया विश्वकर्मा, कंचन मंडावी, आयुषी कछवाहा, रक्षा कछवाहा, प्रांजलि त्रिवेदी और जया विश्वकर्मा ने कहा कि हमने बहुत सारे सिद्धांतों का रोचक तरीके से अध्यापन करना सीख लिया है, हम इसका उपयोग हमारे विद्यार्थियों के बीच करेंगे।
अंत में डाइट प्राचार्य राजेश कुमार जायसवाल एवं विशेष रूप से उपस्थित रहे अभिलाष तिवारी, वेदप्रकाश गुप्ता, राजेश उपरीत तथा वैज्ञानिकों के हाथों से सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए। संस्था की ओर से संयोजक एम एस नरवरिया ने आभार प्रकट किया।।