खबर काम की – तत्काल लोन एप का उपयोग करते है तो सावधान

Scn news india
सुनील नाडेकर की रिपोर्ट 
यदि आप मोबाइल द्वारा पैसे का ट्रांजेक्शन लेन देन करते है या तत्काल लोन एप का उपयोग करते है तो सावधान हो जाइये। हैकर्स के हाथो आप भी  ऑनलाइन ठगी का शिकार हो सकते है।  साइबर शातिर आजकल ऑनलाइन ठगी के लिए एनी डेस्क एप का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। ये हैकर्स बड़ी चतुराई से आपको बातों में उलझा कर आपका विश्वास हासिल कर आपको कब लूट लेंगे आपको पता भी नहीं चलेगा। और आपका खाता खाली हो जाएगा। सावधानी रखे। ऐसे ठगों से बचे और लोगो को भी जागरूक करे।
कैसे बचे। 
1 किसी भी आनेवाली काल के नम्बर से उसे पहचाना जा सकता है। ट्राई के नियमानुसार 10 अंको वाले मोबाइल नम्बर से प्रमोशन कॉल करने की अनुमति नहीं होती। इसके लिए विशेष नम्बर दिया लेना होता है। जो 011 या 012 या 080 से शुरू होता है।
2 .कभी भी मोबाइल कोई ऑनलाइन  एप  डाउन लोड करने के लिए कहे तो तुरंत उस काल को डिस्कानेट कर दे। और दुबारा उस नम्बर को ना उठाये।  और तत्काल अपने नजदीकी पुलिस ऑफिसर को या साइबर क्राइम शाखा में सुचना दे।

3 इंस्टेंट लोन के लालच में न आएं और इन एप के इस्तेमाल से बचें। ये एप आपकी पर्सनल जानकारी भी चुरा सकती हैं।

4 किसी भी तुरंत लोन देने वाली एप कंपनी पर भरोसा न करें। ऐसे किसी भी एप को डाउनलोड करने से पहले उस एप की विश्वसनीयता की जांच जरूर कर लें।

5 इन एप को इस्तेमाल करने से पहले इनकी सुरक्षा संबंधी सभी पेरामीटर को ध्यान से पढ़े और इन एप को स्टोरेज और कॉन्टैक्ट को एक्सेस करने की अनुमति न दें।

6 इन एप पर अपने किसी भी डॉक्यूमेंट्स और निजी जानकारी को अपलोड न करें।

7 इन एप पर अपनी बैंक संबंधी जानकारी जैसे बैंक अकाउंट, एटीएम और यूपीआई की जानकारी को शेयर न करें।

8  किसी भी दूरस्थ डेस्कटॉप एप को अपने डिवाइस में डाउनलोड न करें। किसी भी व्यक्ति को अपनी आईडी, पासवर्ड, पिन, खाता संख्या आदि की जानकारी न दें। बता दे कि अधिकाँश ठगी एनीडेस्क नामक एप के माध्यम से होती है।  भारतीय रिजर्व बैंक ने एनीडेस्क नाम के एक रिमोट डेस्कटॉप एप बारे आगाह किया है। एनी डेस्क एप ठगो के लिए एक बहुत ही सरल साधन है, क्योंकि यह उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट पर अलग-अलग मोबाइल और सिस्टम से कनेक्ट करने की अनुमति देता है। आम शब्दों में यह एक स्क्रीन शेयरिंग प्लेटफॉर्म की तरह है। इसके अलावा क्विक स्पोर्ट्स नाम का एक और एप है जो कमोवेश यही काम करता है। अपराधी इसका उपयोग धोखा देने और ऑनलाइन ठगी के लिए कर रहे हैं।
कैसे देते है ठगी की घटना को अन्जाम 

कुछ व्यक्ति गूगल पर मौजूद कस्टमर केयर का नंबर सर्च करके इस्तेमाल करते हैं। कुछ मामलों में पीड़ित खुद कुछ समस्याओं के समाधान के लिए कस्टमर केयर को कॉल करता है। ऐसे में धोखाधड़ी करने वाले का मकसद पीड़ित के मोबाइल फोन पर एनी डेस्क या टीम वीवर एप डाउनलोड करने के लिए बाध्य करना होता है। कोई भी एप डाउनलोड करने के बाद धोखाखड़ी करने वाले को 9 अंकों के रिमोट डेस्क कोड की आवश्यकता होती है। इसलिए वह उसके लिए पीड़ित से पूछताछ करेगा। एक बार जब पीड़ित 9 अंकों वाला कोड बता देता है और एप की अनुमति दे देता है तो धोखाधड़ी करने वाले को अपने डिवाइस पर पीड़ित के डिवाइस की स्क्रीन देखने को मिल जाएगी और इसे वह रिकॉर्ड भी कर सकता है। जब वह अपने बैंकिंग या यूपीआई एप का आईडी या पासवर्ड टाइप करता है तो ठग उसे नोट कर लेता है। यह एप फोन के लॉक होने पर भी बैकग्राउंड में काम करता है। एंड्रायड फोन पर एनीडेस्क एप आसानी से धोखाबाज व्यक्ति को उसकी जानकारी के बिना पीड़ित के फोन की स्क्रीन को देखने और रिकॉर्ड करने की अनुमित देता है। दूसरी तरफ आईफोन एनीडेस्क एप को आईओएस को पीसी में डालने की अनुमति नहीं देता है। कोई भी व्यक्ति साइबर अपराध से संबंधित किसी प्रकार की शिकायत के लिए हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क कर सकता है।