आईएएस श्री तरुण पिथोडे की चर्चित पुस्तक “ऑपरेशन गंगा” पर हुई चर्चा
मनोहर
ग्वालियर ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान द्वारा होटल तानसेन रेजिडेंसी में आईएएस अफसर श्री तरुण पिथोड़े की चर्चित पुस्तक “ऑपरेशन गंगा” पर एक चर्चा सेमिनार का आयोजन किया गया।
आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में सांसद विवेक शेजवलकर, ग्वालियर संभाग आयुक्त श्री दीपक सिंह , एसपी ग्वालियर श्री राजेश सिंह चंदेल, पत्रकार और लेखक श्री प्रमोद भार्गव, ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष श्री देव श्रीमाली, आईएएस श्री प्रखर कुमार के आतिथ्य में हुआ जबकि कार्यक्रम का मंच संचालन प्रसिद्ध शायर अजनबी द्वारा किया गया।
अतिथि परिचय से कार्यक्रम की शुरुआत हुई जिसके बाद ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष देव श्रीमाली द्वारा आयोजन में पहुंचे सभी अतिथियों का पुष्पा हार पहनाकर स्वागत किया गया। स्वागत की श्रृंखला में ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के तेजपाल सिंह राठौर, रवि शेखर श्रीवास्तव, पंकज श्रीमाली, विजय राठौर द्वारा मंचासीन सभी अतिथियों का पुष्पा हार पहना कर स्वागत किया गया। जिसके बाद ग्रामीण पत्रकारिता विकास संस्थान के अध्यक्ष देव श्रीमाली ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए इस आयोजन के ग्वालियर में आयोजित किए जाने पर प्रकाश डाला और बताया कि किस तरह है रूस और यूक्रेन के युद्ध के समय यूक्रेन में फंसे भारतीयों को भारत सरकार द्वारा ना सिर्फ सुरक्षित बाहर निकाला गया बल्कि सभी छात्रों को सुरक्षित उनके घर तक पहुंचाया गया। ऐसे ही छात्रों और इस पूरे ऑपरेशन को अंजाम देने वाले लोगों को “ऑपरेशन गंगा” में भारतीय प्रशासनिक सेवा के अफसर तरुण पिथोड़े ने अपनी किताब में सजीव चित्रण करते हुए उनके अनछुए पहलुओं को अपनी किताब में संकलित किया है।
पुस्तक के लेखक वरिष्ठ प्रशासनिक सेवक तरुण कुमार पिथोड़े ने बताया कि किस तरह इस किताब को लिखने के लिए उन्होंने अलग-अलग देशों की ना सिर्फ यात्रा की बल्कि बारीकी से सभी पहलुओं पर उन्होंने अध्ययन किया। खास बात यह रही है इस किताब को लिखने के बाद उनके मन से एक भ्रम निकला है कि भारतीय किसी भी मामले में किसी भी देश के नागरिक से कम है बल्कि भारतीय बहुत ही सक्षम थे और बहुत ही सामर्थ्य वान हैं। पूरे विश्व के लोग भारतीयों की आज प्रशंसा कर रहे हैं क्योंकि जिस तरह युद्ध की विभीषिका में युद्धरत दो देशों के बीच से छात्रों को सकुशल सुरक्षित बाहर निकाला गया। वह दुनिया के सामने लाने के लिए उनके द्वारा इस किताब की परिकल्पना की गई और अब यह किताब छप कर सामने है। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों की ना सिर्फ भारत सरकार ने मदद की बल्कि यूक्रेन रूस और आस-पास के देशों में रहने वाले भारतीय लोगों ने भी छात्रों की बहुत मदद की, जिससे छात्र सकुशल अपने देश लौट सके। भारत सरकार के एक आह्वान पर इस्कॉन आर्ट ऑफ लिविंग स्वामी नारायण जैसी संस्थाएं जो कि विदेशों में काम कर रही हैं उन्होंने भी भारतीय छात्रों की मदद के लिए दिल खोल कर काम किया। जिन बस ट्रेन और प्लेन में छात्रों ने सफर किया उन बस ट्रेन और प्लेन को चलाने वाले ड्राइवर और पायलट ने भी बहादुरी का परिचय दिया और युद्ध के बीच से भारतीय छात्रों को सकुशल अपने देश पहुंचाया।