जैसे कण कण में भगवान है वैसे क्षण क्षण में विज्ञान है
योगेश चौरसिया जिला ब्यूरो
राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (भारत सरकार) नई दिल्ली के सहयोग से एस्ट्रोनॉमिका साइंस एक्टीविटी एण्ड एजूकेशन सेन्टर मध्यप्रदेश द्वारा मंडला जिले के छात्र अध्यापकों में नवाचार को बढ़ावा देने के लिये नवाचारी पद्धति से विज्ञान शिक्षण की 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यशाला में देश के अलग अलग स्थानों के प्रबुद्ध वैज्ञानिक एवं स्त्रोत विद्वान अनेक प्रकार से अनुपयोगी वस्तुओं या स्क्रैप आदि का उपयोग करके नवाचारी पद्धति से शिक्षण करना सिखा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के कांकेर से लखन साहू ने जीव विज्ञान के विषय अंतर्गत बॉडी के ऑर्गन आंख, दिमाग, फेंफड़े, लीवर, किडनी, हृदय आदि फंक्शन को अपने विद्यार्थियों को कैसे समझाया जाए रोचक तरीके से प्रशिक्षण दिया।
वी बी रायगाँवकर पुणे महाराष्ट्र ने अपने वृहद् प्रशिक्षण के दौरान पॉवरपॉइंट प्रेजेंटेशन और डायरेक्ट टीचिंग पद्धति से शिक्षण करना सिखाया। उन्होंने अनेक छोटे छोटे प्रयोग सामान्य रूप से उपलब्ध सामग्री से विज्ञान के सिद्धांतों को समझाने की विधियाँ छात्र अध्यापक/अध्यापिकाओं को सिखाई।
डॉ विवेक मुदगिल झांसी उप्र ने बल के अनेक प्रयोगों को साक्षात करके उनके सिद्धांत समझाना सिखाया। उन्होंने बल युग्म, स्पर्श तनाव और दृष्टि के विभिन्न प्रयोग करके दिखाए।
प्रयागराज उप्र के वयोवृद्ध वैज्ञानिक डॉ ओ पी गुप्ता ने भौतिक शास्त्र और गणित के अनेक सिद्धांत छात्र अध्यापकों को समझाए और उन्हें प्रभावी ढंग से क्लास रूम में समझाना सिखाया। गणित के ट्रिक्स भी उन्होंने दिखाए।
पर्यावरण एवं विज्ञान स्त्रोत विद्वान इंजी बी बी आर गांधी ने कहा कि जब भी आप अपने विद्यार्थियों को शिक्षण दे रहे होंगे तब आपकी अपेक्षा यही होती है कि उनका ध्यान आपकी और रहे, वही स्वयं को भी करना है। विज्ञान हर क्षण हर घटना में विद्यमान है, इसलिए हर विषय के शिक्षक को विज्ञान की सूझबूझ होना जरूरी है।
प्रशिक्षण के दौरान डाइट प्राचार्य राजेश कुमार जायसवाल, अभिलाष तिवारी, वेदप्रकाश गुप्ता एवं राजेश उपरीत ने भी उपस्थित रहकर शिक्षण प्रशिक्षण के नवाचार को देखा और सराहा। प्राचार्य जायसवाल ने छात्र अध्यापकों के प्रशिक्षण उद्घाटन के दौरान कहा कि छात्र अध्यापकों के लिए यह सौभाग्य की बात है जिसका संपूर्ण लाभ छात्र अध्यापकों को लेना चाहिए।