क्यों न सारे काम छोड़कर नहाया जाये

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ब्यूरो रिपोर्ट

मुलताई। ग्राम नागदेव में विराट कवि सम्मेलन हुआ समपन्न जिसमें मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र के कवियों के द्वारा शानदार प्रस्तुति दी गई! शरद सुनेरी नागपुर के द्वारा मां वाघेश्वरी की वंदना के साथ कवि सम्मेलन का आगाज हुआ। बाद उसके जनाब हबीब राज मुलताई के  हालात गमकशी के मंजर दिखा रहे हैं। करना था खुदकशी जीना सिखा रहे हैं। का काव्यपाठ किया। बाद उसके जयकिशन जी चंदेल ने – बिलकुल फिक्र न करना प्रिए मैं लौट के घर आऊंगा। यह जो गीत लिखा मैंने मैं तेरे संग गाऊंगा। सैनिकों की अभिव्यक्ति पर गीत पढ़कर खुब वाह वाह बटोरी। बाद उसके कठोतिया छिंदवाड़ा से पधारे कवि रामनाथ यदुवंशी द्वारा – झुकी पलकों से दीदार होगा! कपकपाते लबों से इजहार होगा। ये इश्क़ का दरिया है आदित्य,जो डूबेगा इसमें वही पार होगा। अपने कविता पाठ में खूब तालियाँ बटोरी!बाद उसके भोपाल से पधारे कवि सुनील केहरि ने- कुछ देर यहाँ थमजा महफि़ल सजने दो। आये हो अभी जातें हो जाने बिना जातें हो गाये बिना जातें हो, पढ़ बेहतरीन काव्यपाठ किया! बाद उसके नागपुर से पधारे कवि शरद सुनेरी द्वारा श्रंगार का गीत – आज तेरा अभिषेक करू मैं सप्त सिंधु की धारों से! हार तेरे मै गुथ लाउंगा सूरज चांद सितारों से!पढ़कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया! बहमनी के कवि देव कवड़कर ने सृष्टि शक्ति बेटियां हैं समता की ममता की, आंगन में तुलसी सी रहती है बेटियां!देवी सम मूरत है परियो सी सूरत है खुशी खुशी जीवन में ढ़लती है बेटियां! रचना का काव्यपाठ किया! कवि सम्मेलन का बेहतरीन संचालन खेड़ली बाजार के प्रख्यात कवि दीपक साहू सरस ने किया! उन्होंने अपने काव्यपाठ में -आँखों से न अश्कों का दरिया बहाया जाये!गीत मिलन का गुनगुनाया जाये!एक ही पैर खुजाता तो लगता कि याद किया उसनें,पूरे बदन में खुजली है अब तो नहाया जाये!वाघेश्वरी साहित्य परिषद द्वारा शरद सुनेरी नागपुर, सुनील केहरि भोपाल, व हबीब राज मुलताई को श्री मदन वसंत गौरव भुषण,से सम्मानित किया गया! आभार जयकिशन जी चंदेल द्वारा किया गया।