टिमकी और ढोलक की थाप से गूंजा बैतूल मड़ई उत्सव में कलाकारों ने बांधा समां
अनुराग मिश्रा जिला ब्यूरो
- टिमकी और ढोलक की थाप से गूंजा बैतूल
- मड़ई उत्सव में कलाकारों ने बांधा समां
- गुजरात के राठवा कलाकारों ने बटोरीं खूब तालियां
बैतूल-मध्यप्रदेश शासन संस्कृति परिषद के लिए अकादमी द्वारा स्थापित मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय के विस्तार की विविध योजनाओं के अंतर्गत इस वर्ष जनजातीय नृत्यों पर आधारित तीन दिवसीय मड़ई उत्सव का शुक्रवार को न्यू बैतूल स्कूल ग्राउंड में शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर जनजातीय नृत्य कलाकारों की प्रस्तुतियों ने उपस्थित जनसमुदाय के बीच समां बांधा और खूब तालियां बटोरीं।
कार्यक्रम की शुरुआत डिंडोरी जिले के सैला जनजातीय नृत्य से हुई। सैला नृत्य दशहरा से दीपावली के बीच किया जाता है। नृत्य में लगभग सवा हाथ के डंडे के उपयोग के कारण इसका नाम सैला पड़ा। इस नृत्य में कलाकारों द्वारा प्रस्तुति को उपस्थित दर्शकों ने सराहा। कार्यक्रम में डिंडोरी के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत घोड़ापैठाई नृत्य ने भी दर्शकों का मन मोहा। यह नृत्य बैगा समुदाय द्वारा किया जाता है, जिसमें महिला एवं पुरूष भाग लेते हैं। नृत्य के दौरान टिमकी, बांसुरी एवं अन्य वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है। इसके पश्चात् गोंडी जनजाति के करमा नृत्य की प्रस्तुति डिंडोरी जिले के कलाकारों द्वारा दी गई। गोंडी जनजाति समुदाय के महिला-पुरूषों द्वारा करमा (कर्म) राजा एवं कर्म रानी को प्रसन्न करने के लिए करमा नृत्य किया जाता है। नृत्य में शहनाई, गुदुम, टिमकी, मंजीरा वाद्ययंत्रों का उपयोग किया जाता है। शरद की चांदनी रात में अच्छी फसल आने की खुशहाली के लिए यह नृत्य किया जाता है।
उत्सव की शानदार प्रस्तुति गुजरात के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत राठवा नृत्य की रही। यह नृत्य उदयपुर के राठ समुदाय द्वारा होली के अवसर पर आयोजित पांच दिवसीय मेले में किया जाता है।
इसके अलावा मड़ई उत्सव में बैतूल के कलाकारों द्वारा दांदर, चिरोंजी फगेवा एवं गोंडी नृत्य की प्रस्तुति दी गई।
कार्यक्रम में जिला पंचायत के उपाध्यक्ष श्री हंसराज धुर्वे सहित प्रशासनिक अधिकारी एवं बड़ी संख्या में दर्शक उपस्थित रहे।