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अपने दुर्गुणों को भगवान के चरणों में समर्पित कर दीजिए – जीवन प्रबंधन गुरु पं. मेहता

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सूर्यदीप त्रिवेदी  
मोरखा/बैतुल। लोग कथा तो बहुत सुनते हैं, लेकिन मानते नहीं। कथा श्रवण का पुण्य तभी मिलेगा जब अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएंगे। अपने दुर्गुणों को इस व्यासपीठ पर भगवान के चरणों में छोड़ दीजिए, फिर देखिए आपके जीवन में कैसे सकारात्मक परिवर्तन आता है।
उपरोक्त उद्गार जीवन प्रबंधन गुरु पं. विजयशंकर मेहता ने श्रीराम मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीराम कथा त्रिवेणी के समापन अवसर पर रविवार को व्यक्त किए। पं. मेहता ने ‘चिंतायुक्त राम और चिंतामुक्त राम’ विषय के आधार पर कथा की संगीतमयी व्याख्या की। उन्होंने सुंदरकाण्ड, लंका काण्ड और उत्तर काण्ड के विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या करते हुए कहा युद्ध के पांचवें दिन रावण मूर्छित हो गया। सबने श्रीराम से कहा तीर चलाइये। श्रीराम ने कहा इस समय मैं धर्मरथ पर बैठा हूं। रावण मूर्छित हो गया है। उसके पास शस्त्र नहीं है। भगवान ने रावण के सारथी से कहा कि जाओ अपने राजा को ले जाओ। जब इसे होश आ जाए तब युद्ध के लिए लेकर आना। भगवान हमें भी समझा रहे हैं कि कभी-कभी धर्म की रक्षा के लिए गलत लोगों को सुधरने का मौका जरूर देना चाहिए।
आयोजन समिति के कैलाश रघुवंशी एवं राजेश आहूजा ने बताया रविवार को श्रीराम कथा के समापन अवसर पर हजारों श्रोताओं ने श्रवण लाभ लिया। 30 जनवरी सोमवार को हवन-पूजन के साथ प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव की पूर्णाहुति होगी। समिति सदस्यों ने अधिक से अधिक संख्या में भक्तों से आयोजन में शामिल होकर धर्मलाभ लेने का अनुरोध किया है।