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बांध के विरोध में ग्रामीणों ने सौंपा ज्ञापन

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योगेश चौरसिया जिला ब्यूरो 

मंडला -मंडला और डिंडोरी जिले की सीमा पर नर्मदा किनारे बसनिया नामक बांध बनना है जिसका दोनों जिलों के ग्रामीणों काफी दिनों विरोध करते आरहें है इसी क्रम में दोनों जिलों के सैकड़ों ग्रामीणों ने एकत्रित हो कर रैली निकाली व मंडला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर उक्त बांध को रद करने की मांग की है।

जानकारी अनुसार बतादें यह बांध गांव ओढारी, तहसील घुघरी, जिला मंडला में बनाया जाना है।इस बांध में काश्तकारो की निजी भूमि 2443 हैक्टेयर, वन भूमि 2107 हैक्टेयर और शासकीय भूमि 1793 हैक्टेयर अर्थात कुल 6343 हैक्टेयर जमीन डूब में आएगा। इस बांध से मंडला जिले के 18 और डिंडोरी जिले के 13 आदिवासी बाहुल्य गांव के 2735 परिवार विस्थापित होंगे। जिनकी आजीविका का एकमात्र साधन खेती है। वही ग्रामीणों ने बताया 3 मार्च 2016 को विधानसभा में एक सवाल के जबाव में लिखित कहा कि सात बांधो को नए भूअर्जन अधिनियम से लागत में वृद्धि होने, अधिक डूब क्षेत्र होने, डूब क्षेत्र में वन भूमि आने से असाध्य होने के कारण निरस्त की जाती है। जिसमें बसनिया बांध भी शामिल था। इस बांध से मात्र 8780 हैक्टेयर में सिंचाई होगी जबकि 6343 हेक्टेयर भूमि डूब में आएगा।

अब सवाल यह उठता क्या काश्तकारों की 2443 हेक्टेयर कृषि और 2107 हेक्टेयर वन भूमि को 100 मेगावाट बिजली उत्पादन के नाम पर डुबाया जाना उचित है ? जबकि ये जंगल जैव विविधता से परिपूर्ण है। डूब क्षेत्र की गणना अभीतक टोपोशीट से ही हुआ है। जब प्रत्यक्ष गांव – गांव जाकर जमीनी सर्वे होगा तो विस्थापित होने वाले गांव और डूब जमीन के रकबा में बढोतरी होगी। जिसका बङा उदाहरण बरगी बांध है। मंडला जिला संविधान की पांचवी अनुसूचि (आदिवासी क्षेत्र के लिए विशेष व्यवस्था) के तहत वर्गीकृत है, जहां पेसा अधिनियम प्रभावशील है। इस परियोजना के सबंध में प्रभावित ग्राम सभा को किसी भी तरह की जानकारी नर्मदा घाटी विकास विभाग द्वारा नहीं दिया गया है। यह आदिवासियों को पेसा नियम के तहत प्राप्त संवैधानिक अधिकारों का हनन है,बांध निर्माण के लिए मुम्बई की कम्पनी को ठेका दिये जाने की सूचना स्थानीय समाचार पत्रों से ज्ञात हुआ है।पांचवी अनुसूचि और पेसा अधिनियम के तहत प्राप्त अधिकार के दायरे में हमारी ग्राम सभा बांध बनाये जाने की स्वीकृति प्रदान नहीं करती है । अतः आपसे अनुरोध है कि इस बांध को तत्काल निरस्त करने की घोषणा करें।अन्यथा हमलोग इस बांध के विरोध में सङको पर संघर्ष के लिए मजबूर होंगै। जिसकी सारी जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।