साधु के वेश में आकर रावण ने किया सीता का हरण, सैकड़ों दर्शकों की उपस्थिति में जारी है रामलीला का मंचन
भैंसदेही से धनराज साहू की रिपोर्ट
भैंसदेही नवयुवक दुर्गा रामलीला मण्डल द्वारा आयोजित मंचन के छठवें दिवस खर दूषण वध,सीताहरण का बेहतर मंचन कलाकारों द्वारा किया गया। गणेश स्तुति के बाद प्रथम दृश्य में खर और दूषण का दरबार लगता है जहां पर उनकी बहन सूर्पणखा वहां विलाप करते हुए पहुँचती है। जिस पर खर और दूषण उससे उसके विलाप करने का कारण पूछते है, तब सूर्पणखा अपने साथ हुए छल का सारा वृतांत उन्हें कह सुनाती है। जिस पर दोनों भाई अत्यधिक क्रोधित होकर राम और लक्ष्मण से युद्ध करने निकल जाते है। जहां राम के साथ दोनों भाई का भीषण संग्राम होता है और वे दोनों युद्ध मे मारे जाते है।खर दूषण के वध के बाद सूर्पणखा रावण के दरबार में जाती है और राम को सबक देने की बात कहती है।
जिस पर रावण की ओर से मारीच को स्वर्ण मृग बना कर भेजा जाता है। पंचवटी में स्वर्ण मृग को देखकर सीता श्रीराम से उसे पकडऩे की मांग करती है। राम के जाने के बाद उनकी आवाज सुनकर सीता भयभीत हो जाती है और लक्ष्मण से जाने को कहती है लेकिन लक्ष्मण द्वारा समझाने पर भी सीता उनकी बात नही मानती है। बल्कि लक्ष्मण को ही भला बुरा कहती है। उसके बाद लक्ष्मण भी “लक्ष्मण- रेखा” खींच कर राम की खोज में निकल जाते हैं। लक्ष्मण रेखा के साथ ही माता सीता को समझाईश देते है कि उनके वापस आने तक वह इस रेखा को कदापि न लांघे। ईधर मौका देखकर रावण साधु के वेष में आता है और सीता से भिक्षा मांगता है।
लेकिन लक्ष्मण रेखा देखकर वह सीता से कहता है कि यदि भिक्षा देनी हो तो इस रेखा को पार कर आओ। जैसे ही सीता रेखा पार करती है रावण उनका हरण कर लेता है। लंका के रास्ते में उसका जटायु से युद्ध होता है, बाद में राम व लक्ष्मण जब सीता को खोजते हुए लौटते है तो सीता के नहीं मिलने पर उनको घायल अवस्था में जटायु मिलता है और जटायु उन्हे सारा वृतांत सुनाता है। इस मंचन में खर और दूषण का अभिनय संतोष पाल,मोनू तिवारी द्वारा निभाया गया, राम का अभिनय वरिष्ठ कलाकार संदीप मालवीय,लक्ष्मण का अभिनय राजा जैन व सीता का अभिनय मोहन सिंमैया द्वारा बेहद ही शानदार तरीके से निभाया गया जिसकी दर्शकों द्वारा भारी प्रशंसा की गई।