इंदौर, उज्जैन में भारी वर्षा के आसार, राजधानी में 72 साल में दूसरी बार सर्वाधिक वर्षा

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MP Weather Update : बुधवार काे भाेपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, जबलपुर संभागाें के जिलाें में झमाझम वर्षा हाेने की संभावना है। विशेषकर इंदौर और उज्जैन संभागाें के जिलाें में कहीं-कहीं गरज के साथ भारी वर्षा भी हाे सकती है।
MP Weather Update : भाेपाल । अलग-अलग स्थानाें पर सक्रिय तीन मौसम प्रणालियाें के असर से बंगाल की खाड़ी एवं अरब सागर से लगातार नमी आने का सिलसिला बना हुआ है, जिसके चलते मध्य प्रदेश के अधिकतर जिलाें में रुक-रुक कर वर्षा हाे रही है। राजधानी में मंगलवार शाम साढ़े पांच बजे तक सीजन की कुल 1782.7 मिलीमीटर वर्षा हाे चुकी है। उपलब्ध आंकड़ाें के मुताबिक वर्ष 1950 से अभी तक वर्ष 1973 में भाेपाल में सीजन में 1877 मिमी. वर्षा हुई थी। मौसम विज्ञानियाें के मुताबिक बुधवार काे भाेपाल, इंदौर, उज्जैन, नर्मदापुरम, जबलपुर संभागाें के जिलाें में झमाझम वर्षा हाेने की संभावना है। विशेषकर इंदौर, उज्जैन संभागाें के जिलाें में कहीं-कहीं भारी वर्षा भी हाे सकती है।
मौसम विज्ञान केंद्र से मिली जानकारी के मुताबिक मंगलवार काे सुबह साढ़े आठ बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक पचमढ़ी में 55, सागर में 46, रायसेन में 45, छिंदवाड़ा में 43, नरसिंहपुर में 38, मंडला में 32, भाेपाल में 29.8, नर्मदापुरम में 24, जबलपुर, खंडवा एवं मलाजखंड में 19, सतना में 16, रीवा में 13, रतलाम में नौ, दमाेह में सात, उज्जैन में सात, सीधी में पांच, गुना, बैतूल, शिवपुरी एवं उमरिया में तीन, इंदौर में 2.8, नौगांव में दाे, खजुराहाे में 1.4, ग्वालियर में 0.2 मिलीमीटर वर्षा हुई। मौसम विज्ञान केंद्र के पूर्व वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अजय शुक्ला ने बताया कि वर्तमान में मध्य प्रदेश के मध्य में एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। काेंकण पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। इस चक्रवात से लेकर मध्य प्रदेश के मध्य में बने कम दबाव के क्षेत्र से हाेकर बंगाल की खाड़ी तक एक ट्रफ लाइन बनी हुई है। मानसून ट्रफ जैसलमेर, काेटा, गुना, पेंड्राराेड, जमशेदपुर, दीघा से हाेकर बंगाल की खाड़ी तक बना हुआ है। इन तीन मौसम प्रणालियाें के कारण बंगाल की खाड़ी के अलावा अरब सागर से भी नमी मिल रही है। इस वजह से मप्र में रुक-रुककर वर्षा हाे रही है। वर्षा का सिलसिला शुक्रवार तक बना रह सकता है।
उधर 18 सितंबर काे बंगाल की खाड़ी में एक और कम दबाव का क्षेत्र बनने के संकेत मिले हैं।