सौभाग्यवती स्त्रियों ने पति की लंबी उम्र के लिए रखा व्रत
भरत साहू की रिपोर्ट
हरतालिका व्रत को हरतालिका तीज आया तीजा भी कहते हैं यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन होता है इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां गौरी शंकर जी की पूजा करती है विशेष कार्यवृत्त पूजन उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल बिहार में मनाया जाने वाला व्रत करवा चौथ विधि कठिन माना जाता है क्योंकि जहां करवा चौथ में चंद्रमा देखने के उपरांत व्रत संपन्न कर दिया जाता है वही इस व्रत में पूरे दिन निर्जल व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात व्रत संपन्न किया जाता है।
इस व्रत से जुड़ी कुछ मान्यता है की इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान पूर्वक पति रमन करके शिवलोक को जाती है सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने और अविवाहित लड़किया मनचाहा वर पाने के लिए हरतालिका तीज का व्रत करती है सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर के लिए किया था इस दिन विशेष कर गौरी शंकर पूजन अर्चन किया जाता है इस दिन व्रत करने वाली स्त्रीया सूर्य उदय से पूर्व उठ कर उठ जाती है और नहा धोकर पूरा सिंगार करती है।
पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है उसके साथ पार्वती जी को सुबह में भजन कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती के विवाह की कथा सुनी जाती है और और सभी महिलाएं मिलकर गौर निकालती है नदी पर जाकर नदी से रेत लेकर आती है डांस वगैरह करती है और घर पूजन स्थापना चालू करती है उसके उपरांत रात्रि में पूजन किया जाता है उसके बाद सारी रात्रि में भजन कीर्तन की जाते हैं फिर सुबह घाट को चिढ़ाने के लिए माता बहने घाट को लेकर नदी पर जाती है और घट का विसर्जन करती है उसके उपरांत अन्य ग्रहण करती है इस प्रकार से यह व्रत संपन्न किया जाता है जिसको हिंदू धर्म में बड़े हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाताहै।