ग्राम खेड़ी सावली गढ़ में शनिवार को पोला पर्व मनाया गया
राजेश साबले जिला ब्यूरो
पोला पर्व मनाने की परंपरा वर्षो पुरानी है। समय के साथ सार्वजनिक पोला उत्सव काफी बदल गया है पहले यहां बैल दौड़ होती थी। अब जगह कम होने के कारण सिर्फ तोरण बांधी जाती है। इसमें दर्जनों बैल जोड़ियां सजाकर लाई जाती है और कार्यक्रम के आरंभ में ग्राम के गणमान्य नागरिक और सरपंच और पुजारी सभी बैल जोड़ी की परिक्रमा कर पूजा अर्चना की जाती है।
ग्राम खेड़ी के बाजार चौक में यह कार्यक्रम आयोजित किया जाता है पोला पर्व की पूजा अर्चना करने के बाद तोरण तोड़ने की परंपरा की जाती है माना जाता है कि यह तोरण तोड़कर घर में रखने से घर में सभी लोग खुश रहते हैं। इसीलिए पोला पर्व पर तोरण तोड़ने की परंपरा सभी गांव में होती है आज सुबह से ही सभी बैलों को नहला कर कृषक लोग बैल की साज-सज्जा करते हैं और उन्हें मोर पंख गुब्बारे और फूलों से सजाया जाता है उसके बाद उन्हें पोला पर्व मनाने एक निश्चित स्थान पर जमा किया जाता है जहां सार्वजनिक रूप से पोला मनाया जाता है कार्यक्रम में गांव के सरपंच शर्मिला केवल सिंह ठाकुर एवं जनपद सदस्य और गांव के समाजसेवी निमेष ना शायरी उपस्थित थे।