बजाज फायनेंस ग्राहको को कर रही गुमराह कसौटी पर नही चुबंक से परखा जा रहा सोना

बैतूल। इन दिनों शहर के कई गोल्ड लोन देने वाली कंपनी सक्रिय है जो ग्राहकों का सोना रखकर लोन देती है। इन्ही में से एक बजाज फायनेंस कंपनी जो गोल्ड लोन के नाम पर ग्रामीण एवं शहरी ग्राहकों को गुमराह एवं भ्रमित करने के काम कर रही है। गोल्ड फायनेंस के नाम पर भारतीय मानक ब्यूरो हॉल मार्क (सील) लगा वाला सोना भी नकली बता रही है। स्थानीय कर्मचारियों के गुमराह करने से ज्वेलर्स का व्यवसाय करने वाले लोगो पर इसका प्रभाव पड रहा है। सराफा व्यवसायियों का कहना है कि कंपनी के लापरवाह कर्मचारियों की वजह से उनके व्यवसाय को भी बदनाम किया जा रहा है।
–चुंबक से की जा रही सोने की परख–
इस सम्बंध में शहर के प्रतिष्ठित सोना चांदी व्यवसायी मामाजी ज्वेलर्स के संचालक नवीन तातेड का कहना है कि गत दिनों एक ग्राहक सुदामा बारपेटे निवासी बोरपानी आठनेर ने बिल क्रमांक 4578 दिनांक 25.6.22 को एक सोने के चेन जो कि भारतीय मानक ब्यूरो हॉलमॉर्क लगी हुई थी को चेन बेची थी। उक्त चैन कुछ दिनों बाद जब ग्राहक गिरवी रखने के बजाज फायनेंस कंपनी के स्थानीय ब्रांच में पहुंचा तो वहां तैनात कर्मचारी ने यह कहते हुए ग्राहक को लौटा दिया कि यह सोना नही है। चेन चुंबक से चिपक रही है यह सोना नही है, जबकि यह चेन पर हॉलमार्क की सील लगी है।व्यवसायी नवनीत तातेड का कहना है कि बजाज फायनेंस के स्थानीय कार्यालय में सोने की शुद्धता परखने के लिये न तो कोई वेल्युवर रखा गया है और न ही सोना जांचने वाली केरेटो मीटर मशीन, मात्र चुंबक से जांच की जा रही है। जबकि चुबंक से जांच का कोई आधार ही नही है। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में उन्होंने कंपनी के हैड ऑफिस को अवगत करा दिया है। इधर फायनेंस कपनी की इस हरकत को लेकर स्थानीय सराफा व्यवसायियों ने भी रोष व्यक्त करते हुए बजाज कपंनी के दफ्तर पहुंचकर ब्रांच मैनेजर को भी आपत्ति दर्ज कराई है।
–जांच मशीन से की जाए सोने की परख–
इस सम्बंध में सराफा संघ के अध्यक्ष अरूण गोठी का कहना है कि उन्होंने ब्रांच मैनेजर को ग्राहकों को गुमराह नही करने के सम्बंध में अवगत करा दिया है, साथ ही संघ की ओरे से निवेदन भी किया है कि कंपनी किसी सोने चांदी के परख वाले जानकार को नियुक्त करें, साथ ही सोने की जांच मशीन से की जाए। इस तरह ग्राहकों को गुमराह नही करे, नही तो कंपनी के खिलाफ कार्यवाही करने के लिये मजबूर होना पड़ेगा।