आदिवासी सेना के तत्वाधान में दो दिवसीय शिविर का हुआ आयोजन

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  • आदिवासी सेना के तत्वधान में दो दिवसीय शिविर का हुआ आयोजन
  • समाज के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का लिया संकल्प

पलारी। प्रदेश आदिवासी सेना के तत्वधान में समाज के युवाओं व मातृशक्तियों को संवैधानिक कानुनी, व्यावसाय और जनता के बीच कैसे बोला जाता है (पब्लिक स्पीकिंग) का कार्यशाला आयोजित हुआ जिसमें सैकड़ों की संख्या में समाज के लोग शामिल हुए। महारानी दुर्गावती महिला संगठन ने भी शिविर में बढ़-चढ़ कर भाग लिया और सहयोग भी दिया, जिसकी प्रशंसा समाज प्रमुखों के द्वारा किया गया। बने को क्या बनाना बिगड़े को बनाओं तो जाने, वो शिश महल को क्या सजाना उजड़े को सजाए तो जाने इस चरितार्थ पर आदिवासी सेना ने समाज के अंतिम व्यक्ति की प्रतिभा को संवारते हुए सर्व बीच लाने का कार्य किया गया जो एक अनुकरणीय प्रयास रहा।


आदिवासी सेना द्वारा हमेशा से ही समाज हित व देश हित के मुद्दे में कार्य करते आ रहे हैं और आदिवासी समाज को जागरूक करने का भरसक प्रयास भी कर रहे हैं, प्रदेश अध्यक्ष दिनू नेताम के दिशा-निर्देश में 04 व 05 जून को ग्राम चिखली(गिधपुरी) में दो दिवसीय शिविर आयोजित किया गया जिसमें पब्लिक स्पीकिंग, संवैधानिक कानुनी और व्यवसाय पर चर्चा किया गया, जिसमें आदिवासी सेना व महारानी दुर्गावती महिला संगठन और बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के सदस्यों ने भाग लेकर सीखने और सिखाने के साथ समाज में क्रांतिकारी विचारों को उत्पन्न किया गया। मंच पर बीना डर, भय, झिझक के अपनी बात रखने के लिए पब्लिक स्पीकिंग कैसे करते है इसके लिए संतोष वर्मा मोटिवेशनल स्पीकर द्वारा सीखाया गया। संवैधानिक कानुनी के लिए एम आर ध्रुव द्वारा बहुत ही सरल व विस्तार पूर्वक बताया गया व एक एक व्यक्ति की समस्या को सुनकर कानुनी सलाह दिया गया। संतराम ध्रुव महासचिव मनोज ध्रुव नेतराम मंडावी प्रदेश उपाध्यक्ष, काशी मंडावी जिलाध्यक्ष, सम्मोखन छेदैईया अध्यक्ष आरंग, जगदीश छेदैईया अध्यक्ष भाटापारा, देवेश, विकास, तिरीथ, रत्नेश छेदैइहा, दामेश मंडावी, पप्पू मंडावी, चेतन, राजकुमार, सुरेंद्र, नारायण, हीरासिंग, नीलकंठ, हेमंत नेताम, रुपेन्द्र, विक्रम मरकाम, सुरज, संजय, राजेश, तोरण, मुनेश, देवेन्द्र, मालिक, रामायण सिंह, संतोष मरावी, शिवा कुमारी, सोनारीन, प्रमिला, उर्मिला, राजोबाई, धानोबाई, बुधारा, कामिन बाई सहित सैकड़ों की संख्या में समाज के मातृशक्ति व पितृशक्ति उपस्थित थे।