चमत्कारिक मां शीतला रानी कि 24 मार्च को शीतला सप्तमी गुरुवार का दिन पूजन हेतु सर्वश्रेष्ठ – जाने पूजन की विधि

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राजेश साबले  ब्यूरो बैतूल

चमत्कारिक मां शीतला रानी कि सप्तमी  और अष्टमी आ रही है इस दिन माता रानी को क्या भोग लगाना है क्या भोग  नहीं लगाना है यह सारी बातें हम आपको बता रहे हैं। किस दिन क्या  करना है। आज पूजा सामग्री  क्या होती है और शुभ मुहूर्त क्या होता है और शीतला सप्तमी और अष्टमी की पूजा में हमें क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए सारी जानकारियां दे रहे है।

स्वास्थ्य के लिए घर के सभी सदस्य स्वास्थ्य रहे इस लिए घर की औरतें पूजा करती हैं माताएं बहने शीतला माता से प्रार्थना करती है कि उनके बच्चे स्वस्थ रहें और छोटी माता फोड़े फुंसी ना हो, क्योंकि गर्मी होती है इन दिनों यह बीमारी नहीं होनी चाहिए, आपकी श्रद्धा हैं तो व्रत रखें या ना रखें आपके ऊपर निर्भर करता है।

जो शास्त्र में बताई गई मान्यता है कि चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी अष्टमी तिथि को शीतला माता की पूजा करते हैं तो इसे शीतला सप्तमी कहते हैं यदि अष्टमी के दिन करते हैं तो इसे कहते हैं तो पहले की माताएं ऐसे वह हिसाब लगा लेती थी उसी के अनुसार शीतला माता का पूजन करती थी जैसे की होली के बाद पढ़ने वाले पहले सोमवार या फिर गुरुवार को किसी भी सोमवार को माता शीतला का पूजन करती थी या हर गांव में एक शीतला माता की मूर्ति होती है वहां पर जल चढ़ाते हैं तो यह हमारे देसी मान्यताएं होगी सारी  मान्यताएं  शास्त्र सम्मत हो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।

यह सिर्फ हमारी स्वयं की बनाई हुई स्थानीय मान्यताएं हैं जो कि ग्रामीण क्षेत्र में विशेष रुप से की जाती हैं तो अब आपके ऊपर है। सामने कई प्रकार के आ जाते हैं तो आप जरूर करना वर्ष 2022 में शीतला सप्तमी अष्टमी या बांसवाड़ा किस दिन करना है यदि शीतला माता का पूजन वार के अनुसार करते हैं यदि आप शास्त्र के अनुसार करते हैं तो वह हमारी 24 मार्च 2022 को शीतला सप्तमी पड़ेगी गुरुवार का दिन बहुत ही अच्छा 24 मार्च को आपको आना है 3 दिन मिल रहे हैं।

जिसने आप शीतला माता का पूजन कर सकते हैं तो सब बात करते हैं शुभ मुहूर्त के बारे में इसमें शुभ मुहूर्त तो ऐसा होता है कि इसका जो पूजन होता है ना वह सुबह सुबह सूरज निकलने से पहले कर लेना चाहिए शास्त्रों के अनुसार तो यही है अगर अब नहीं कर पाएंगे तो सुबह-सुबह तो कभी भी कर सकते हैं लेकिन मुख्य बात यह होती है कि उसका पूजन सूर्य निकलने से पहले होना चाहिए।

यह बहुत ही त्वरित गति से पूजन किया जाता है इसे बैठकर के बहुत आराम से नहीं किया जाता कोशिश करके सूर्य उदय होने से पहले पहले हमें पूजन कर लेना चाहिए सुबह का टाइम कर सकते हैं 24 मार्च में शुभ मुहूर्त देखना चाहते हैं 3:40 से 5:08 तक 6:30 से 8:08 तक तीसरा मुहूर्त है दोपहर 12:41 से दोपहर 2:13 तक तो आप इन शुभ समय में कभी भी आप अपना पूजन शीतला अष्टमी का सप्तमी का पूजन कर सकते हैं। माता शीतला को बासी ठंडे भोजन का भोग लगाया जाता है जिसमें की माता के लिए मीठे पूरे दही गन्ने के रस की खीर खीर बनाई जाती है। दही कब लगाया जाता है धूप दीप चढ़ाना है ते ल  बिना दिप जलाया नहीं सिर्फ  चढ़ाया जाता है पूजा से बचा हुआ तेल हल्दी बच्चे के शरीर पर लगाना चाहिए।

बचा हुआ दे देना चाहिए और सभी परिवार वालों को अपनी आंखों पर लगाना चाहिए या फिर करते हैं माता के वाहन गधे को भी आज के दिन चारा खिलाना चाहिए और किसी भी जानवर को मारना नहीं चाहिए शीतला माता के साथ हनुमान जी का भैरव बाबा का और हमने होली है वहां पर हमें पूजन करना चाहिए आज के दिन गौ माता को और कुत्ते को भोजन खिलाना चाहिए और आप हमें क्या नहीं करना चाहिए आज के दिन में अग्नि नहीं चलानी है गर्म वस्त्र नहीं पहननी चाहिए गर्म चीजें नहीं खानी चाहिए जहां तक हो ठंडे भोज्य पदार्थ ठंडे वस्त्र ठंडे जल का उपयोग करें तो जो भी मन कर रहे हैं सूती वस्त्र धारण करनी है।