बैतूल

जमीनी स्तर के कर्मचारियों का शोषण करना बंद करें प्रदेश सरकार: निलय डागा

Scn news india

राजेश साबले तहसील ब्यूरो 

  • आशा कार्यकर्ताओं, पर्यवेक्षकों ने शोषण के खिलाफ उठाई आवाज
  • विधायक निलय डागा को बताई समस्या, विधायक ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र

 


बैतूल।
 आशा कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकोंं ने राज्य एवं केन्द्र सरकार द्वारा किये जा रहे शोषण के विरूद्ध आवाज उठाते हुए कांग्रेस विधायक निलय विनोद डागा को ज्ञापन सौंपा है। मध्य प्रदेश आशा सहयोगिनी श्रमिक संघ की कार्यकारिणी अध्यक्ष यासमीन खान ने विधायक को ज्ञापन के माध्यम से बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की संचालक ने आशा कार्यकर्ताओं को 10 हजार रु महीने और आशा सहयोगिनी को 15 हजार रु महीने वेतन देने का प्रस्ताव शासन को भेजा था, लेकिन इस पर आज तक अमल नहीं किया गया है।

 

इस दौरान विधायक ने आशा कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकोंं को आश्वासन देते हुए कहा कि वह उनकी जायज मांगों को प्रदेश सरकार तक पहुंचाएंगे। इन कार्यकर्ताओं को दिए आश्वासन अनुसार कांग्रेस विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर आशा कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकोंं की समस्याओं से अवगत कराते हुए तत्काल उचित निर्णय लेने का आग्रह किया है। इन महिला कर्मचारियों की व्यथा सुनकर विधायक ने प्रदेश सरकार के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार जमीनी स्तर के कर्मचारियों का शोषण करना बंद करें। आशा कार्यकर्ताओं को 10 हजार एवं पर्यवेक्षकों को 15 हजार रु . वेतन निश्चित प्रोत्साहन राशि दिये जाने के सम्बन्ध में आदेश जारी किये जाए।

–आशा कार्यकर्ताओं ने लगाए गंभीर आरोप–

कांग्रेस विधायक को सौंपे ज्ञापन के माध्यम से आशा कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकों ने प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अल्प वेतन देकर आशा एवं पर्यवेक्षकों के अमानवीय शोषण किया जा रहा है। आशा ऊषा एवं पर्यवेक्षक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन एवं स्वास्थ्य विभाग के मैदानी कार्यकर्ता है। आशा कार्यकर्ताओं एवं पर्यवेक्षकों पर स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिये विभागीय अधिकारियों एवं जन प्रतिनिधियों द्वारा आशाओं को प्रमाण पत्र देकर बार बार सम्मान किया गया है, लेकिन केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा आशा एवं पर्यवेक्षकों का 2000 रुपये के अल्प वेतन देकर आशाओं का अमानवीय शोषण किया जा रहा है। भीषण मंहगाई के दौर में बेहद अल्प वेतन में उन्हें अपनी जिन्दगी और परिवार चलाने के लिये विवश किया जा रहा है। अधिकांश राज्य सरकारे स्वास्थ्य के क्षेत्र में आशा एवं पर्यवेक्षकों के योगदान को ध्यान में रखते हुये अपनी ओर से अतिरिक्त वेतन देकर उन्हें राहत पहुंचा रही है , लेकिन मध्य प्रदेश सरकार आशाओं को अपनी ओर से कुछ भी नहीं दे रही है। दिन रात काम करने के बावजूद न्यायपूर्ण वेतन दिये जाने की आशाओं एवं पर्यवेक्षकों की मांगों के प्रति प्रदेश सरकार आंखें मूंदकर बैठी हुयी है। इन महिला कर्मियों के प्रति सरकार का रवैया बेहद अन्यायपूर्ण है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री सहित सभी मंत्रियों एवं जन प्रतिनिधियों ने आशाओं के काम की तारीफ करते हुये वेतन वृद्धि की मांग को न्यायपूर्ण मानते हुये शीघ्र निराकरण का आश्वासन दिया, लेकिन आज तक उनकी सुध नहीं लेते हुए वेतनवृद्धि नहीं की गई।

–जल्द से जल्द किया जाए निराकरण–

मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में विधायक निलय डागा ने आग्रह करते हुए कहा कि आशा, उषा एवं पर्यवेक्षक स्वास्थ्य विभाग के मैदानी स्तर के कार्यकर्ता है, जो शासन की विभागीय विभिन्न योजनाओं का लाभ हितग्राही तक पहुंचाने का कार्य अपनी पूर्ण इमानदारी व निष्ठा से करते आ रहे हैं। कोरोना महामारी अवधि में इन्होने फ्रंट लाईन वर्कर के रूप में अपना अमूल्य योगदान दिया है। इनकी अमूल्य सेवाभाव को देखते हुए सहानुभूतिपूर्वक उक्त मांगों का निराकरण जल्द से जल्द किया जाए।

–मुख्य मंत्री से की यह मांग–

विधायक ने पत्र के माध्यम से मांग की है कि आशा कार्यकर्ता को 10 हजार एवं सहयोगियों को 15 हजार प्रोत्साहन राशि के रूप में वेतन दिये जाने का आदेश तत्काल जारी करें। प्रोत्साहन राशि का भुगतान प्रत्येक माह के प्रथम सप्ताह में किया जाये, अप्रैल 2021 में किये गये कोविड -19 वैक्सीनेशन अवधि की गणना कर ड्यूटियों का पूरा भुगतान व लंबित बकाया राशियों का भुगतान तुरंत कराया जाये। प्रोत्साहन राशि में अनुचित कटौती को रोका जाए। पूर्व की प्रोत्साहन राशि में से अनुचित काटी गई राशि का भुगतान कराया जाये। शहरी एवं ग्रामीण आशाओं के प्रोत्साहन राशि में असमानता का समाप्त किया जाये। जिला अध्यक्ष चिन्ता चौहान, आशा सहयोगिनी श्यामपुर सीहोर के प्रति नरेन्द्रसिंह बी.सी.एम. द्वारा द्वेष भावना रखते हुए अन्यायपूर्ण, अनुचित व्यवहार पर एन.एच.एम द्वारा न्याय पूर्ण कार्यवाही की जाए।