मंडला

विश्व प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा को उनके 100वें जन्म दिवस पर पूरी शिद्दत से याद किया

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योगेश चौरसिया  की रिपोर्ट 

मंडला – मंगलवार को पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित विश्व प्रसिद्ध चित्रकार सैयद हैदर रज़ा को उनके 100वें जन्म दिवस पर पूरी शिद्दत से याद किया गया। रज़ा साहब के चाहने वालों ने उनकी कब्र पर पहुंचकर श्रद्धासुमन अर्पित किए। रज़ा उत्सव में शामिल कलाकार, रज़ा फाउंडेशन से जुड़े लोग और स्थानीय चाहने वालों ने उनकी व उनके पिता की कब्र पर चादर चढ़ाकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।

चित्रकार सैयद हैदर रज़ा को के 100वें जन्म दिवस पर श्रद्धासुमन अर्पित करने पहुंचे जयदत्त झा ने कहा कि मशहूर चित्रकार सैयद हैदर रज़ा के 100वें जन्म दिवस पर उनके फाउंडेशन के द्वारा जो सांस्कृतिक कार्यक्रम व चित्रकला कार्यशाला आयोजित किए जा रहे वो रज़ा साहब को सच्ची श्रद्धांजलि है। रज़ा साहब ने स्वर्णिम योगदान कला के क्षेत्र में दिया है। रज़ा साहब ने कला के क्षेत्र इससे कला के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है व् उन्हें मंच मिला है। खैरागढ़ विश्वविद्यालय में भी अब मंडला के बच्चे को प्रवेश लेने में मदद मिल रही है। उन्होंने रज़ा फाउंडेशन से आग्रह किया है कि वो लगातार ऐसे ही कार्यक्रम आयोजित कर लोगों की प्रतिभा को निखारने और उन्हें उपयुक्त मंच तक पहुँचाने का प्रयास करे।

 जयदत्त झा, समाजसेवी

वरिष्ठ चित्रकार डोंगरे ने बताया कि रज़ा साहब भले ही पेरिस में रहते थे लेकिन मैंने महसूस किया कि उनकी हर पेंटिंग में किसी न किसी जगह मंडला जरूर रहता था। उन्होंने जब भी पेंटिंग की तो प्रकृति को ऐसा निखारा है वह किसी कलाकार के बस की बात नहीं थी। रज़ा साहब की पेंटिंग से मुझे काफी कुछ सीखने को मिला है। मंडला में कला को लेकर बेहतरीन माहौल बना है। अब यहाँ के बच्चे भी पेंटिंग की शिक्षा लेकर आगे बढ़ेंगे।

पुरषोत्तम लाल डोंगरे, वरिष्ठ कलाकार 

रज़ा उत्सव के संयोजक योगेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि जब मैं पढता था तब उन्हें देखता था। रज़ा साहब अपना जन्मदिन भारत में ही मनाते थे। उनके जन्मदिन पर युवा कलाकारों की प्रदर्शनी या कोई न कोई कार्यक्रम जरूर होता। इसमें हम सभी शामिल होते है। वो युवाओं को हमेशा मंच उपलब्ध कराते थे। उन्हें संगीत, नृत्य से भी काफी लगाव था। इसी वजह से फाउंडेशन भी हर विधा के कला के प्रोत्साहन के लिए काम कर रहा है। मंडला में तो काम होना ही है। मंडला ही नहीं यदि मध्य प्रदेश से भी कोई उनसे मिलने पहुँचता तो वो गदगद हो जाते थे।

योगेंद्र त्रिपाठी, संयोजक रज़ा उत्सव।